इस्लाम विरोधी फिल्म: पाक में जनजीवन प्रभावित, हिंसक प्रदर्शन

इस्लाम विरोधी फिल्म: पाक में जनजीवन प्रभावित, हिंसक प्रदर्शन

इस्लाम विरोधी फिल्म: पाक में जनजीवन प्रभावित, हिंसक प्रदर्शनइस्लामाबाद : अमेरिका में बनाई गई कथित इस्लाम विरोधी फिल्म के खिलाफ पाकिस्तान सरकार के छुट्टी घोषित करने से शुक्रवार को पाकिस्तान में आम जनजीवन प्रभावित रहा। इस फिल्म के विरोध में यहां राजधानी समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं।

सरकार ने शुक्रवार के दिन को ‘यौम ए इश्क ए रसूल’ (पैगंबर प्रेम दिवस) के रूप में मनाने की घोषणा की है जबकि प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने लोगों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की है।

गुरुवार को कट्टरपंथी समूहों द्वारा इस्लामाबाद में, दूतावास इलाके के बाहर किए गए विरोध-प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के बाद अधिकारियों ने देश भर में कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की है।

प्रधानमंत्री आज सुबह जिन्ना कन्वेन्शन सेंटर में ‘पैगंबर प्रेम सम्मेलन’ को संबोधित करने वाले थे। यह जगह उसी स्थान के समीप है जहां कल हिंसक प्रदर्शन हुए थे। लेकिन सरकार ने सुरक्षा कारणों के चलते आधी रात को तय किया कि सम्मेलन प्रधानमंत्री के सचिवालय में होगा। इस सम्मेलन में कई मौलवी, धार्मिक नेता और राजनेता शामिल होंगे।

कल मध्यरात्रि में प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से लाहौर, रावलपिंडी, क्वेटा और कराची सहित लगभग 15 शहरों में मोबाइल फोन सेवाएं बंद कर दीं जिसे लेकर लोग शिकायत कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि मोबाइल सेवाएं पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण के आदेश पर निलंबित की गईं। यह रोक शाम छह बजे तक रहेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए मोबाइल फोनों का उपयोग न किया जा सके। हाल ही में ईद उल फित्र के पर्व पर भी ऐसा ही किया गया था।

देश भर में शैक्षणिक संस्थान, बैंक, सरकारी और निजी कार्यालय एवं बाजार बंद रहे। सड़कों पर सरकारी और निजी वाहन नहीं चले और सीएनजी तथा पेट्रोल पंप भी बंद रहे। इस्लामाबाद के राजनयिक इलाके और लाहौर, कराची एवं पेशावर में स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को जाने वाली सड़कें बंद कर दी गई हैं।

ज्यादातर शहरों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं और प्रशासन हाई अलर्ट पर है। लाहौर में अतिरिक्त 15000 पुलिस कर्मी तैनात हैं और विदेशियों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।

पेशावर में विदेशी प्रतिष्ठानों और गैर सरकारी संगठनों के कार्यालयों पर कड़ी सुरक्षा की गई है। जुमे की नमाज को देखते हुए मस्जिदों और शिया इमामाबाड़ों में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। धार्मिक नेताओं और राजनेताओं ने नमाज के बाद लोगों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कई शहरों में आज सुबह रुक-रुक कर प्रदर्शन होते रहे। हालांकि जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। कल इस्लामाबाद के राजनयिक इलाके के बाहर लगभग 5,000 लोगों के प्रदर्शन के दौरान लगभग 100 प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए। इनमें से कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई। लेकिन पुलिस लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का उपयोग करने के बाद भी इन प्रदर्शनकारियों को नहीं खदेड़ सकी। जब गृह मंत्रालय ने सेना के जवानों को राजनयिक इलाके की सुरक्षा के लिए बुलाया तब प्रदर्शनकारी वहां से हटे।

प्रदर्शन में जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा और जमात-उद-दावा और सिपह-ए-सहबा जैसे कट्टरपंथी समूहों के सदस्य शामिल थे। गृह मंत्री रहमान मलिक ने कल की हिंसा के लिए ‘प्रतिबंधित समूहों’ के सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया है।

उन्होंने कहा कि रावलपिंडी में सुरक्षा के लिए पंजाब सरकारी जिम्मेदार है लेकिन उसने प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद आने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया। (एजेंसी)

First Published: Friday, September 21, 2012, 11:32

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