Last Updated: Thursday, April 11, 2013, 23:49

बर्लिन : भारत ने गुरुवार को ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम के जटिल मुद्दे के राजनयिक समाधान निकालने की जरूरत पर जोर देते हुए तेहरान के शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए असैनिक परमाणु महात्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के अधिकार का समर्थन किया।
यह विचार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के साथ बातचीत के दौरान व्यक्त की। व्यापारिक मुद्दे के अलावा दोनों नेताओं ने आतंकवाद से मुकाबला, अफगानिस्तार, ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सीरिया की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की।
ईरान के मुद्दे पर मर्केल ने कहा कि पी प्लस 5 समूह की वार्ता जारी रहने के विषय को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इन मुद्दों पर संक्षिप्त चर्चा की। मैं इस बात से निराश हूं कि इस बारे में जारी बातचीत सफल साबित नहीं हुई है। जहां तक जर्मनी का प्रश्न है, हम इससे काफी चिंतित हैं। तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्यों और ईरान के बीच वार्ता चल रही है। अमेरिका, इजरायल और कुछ सहयोगी देश लगातार ईरान पर आरोप लगाते रहे हैं कि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम नागरिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर नहीं बढ़ा रहा है।
बहरहाल, ईरान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने वाले और अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी के सदस्य होने के नाते उसका परमाणु प्रौद्योगिकी का शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का अधिकार है। ईरान के शिष्टमंडल का नेतृत्व सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव सईद जलीली कर रहे हैं जबकि यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख कैथरिन एशटान पी5 प्लस 1 का प्रतिनिधित्व कर रहे है जिसमें ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका के साथ जर्मनी शामिल है।
बहरहाल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी ओर से ईरान के तेल पर भारत की निर्भरता और उस क्षेत्र में भारत के लोगों की मौजूदगी के विषय को रखते हुए देश का रूख व्यक्त किया। असैनिक परमाणु उद्देश्यों के लिए परमाणु महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने के ईरान के अधिकार का समर्थन करते हुए सिंह ने कहा कि एनपीटी पर हस्ताक्षर करने वाला ईरान परमाणु हथियार के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस जटिल मुद्दे के समाधान के लिए राजनय को अधिक मौका दिया जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 11, 2013, 23:49