Last Updated: Saturday, July 7, 2012, 12:39
लाहौर : पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के पाकिस्तानी वकील ने वर्ष 1990 में हुए बम धमाकों में कथित रूप से शामिल होने पर उनके खिलाफ चल रही सुनवाई की खामियों को उजागर किया और मांग की कि पाक सरकार उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दे।
सरबजीत के वकील अवैस शेख ने कहा कि सुनवाई के दौरान अदालतों ने मौत की सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान कई गल्तियां की हैं। शेख ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘सरबजीत की सुनवाई में कई खामियां रहीं और उन्हें संदेह का लाभ नहीं दिया गया जो स्थानीय आरोपी को अक्सर अदालतें देती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘पहली बात सरबजीत का मामला गलत पहचान का है क्योंकि खुफिया एजेंसियों ने उन्हें अदालत के समक्ष मंजीत सिंह के नाम से पेश किया था। मंजीत सिंह पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के लिये वास्तविक रूप से जिम्मेदार है।’
शेख ने कहा कि लाहौर हाईकोर्ट ने सरबजीत की अपील पर सुनवाई के दौरान व्यवस्था दी थी कि नाम से कोई बदलाव नहीं आता है और यह पर्याप्त है कि उन्होंने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया है। एक विशेष न्यायाधीश द्वारा रिकार्ड किये गये बयान को पेश करते हुए शेख ने कहा कि सरबजीत ने कभी भी किसी अदालत या जांच एजेंसी के समक्ष अपना अपराध स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने एक टीवी कैमरे के सामने अपराध स्वीकार किया लेकिन उसका कोई कानूनी महत्व नहीं है।
न्यायाधीश द्वारा सरबजीत के साथ पूछताछ का ब्योरा देते हुए शेख ने कहा कि उन्होंने अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। सरबजीत के बयान के मुताबिक यह सही नहीं है कि उसे रॉ ने पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार और प्रशिक्षित किया था।
सरबजीत ने अभियोजन पक्ष के उन आरोपों को खारिज किया है जिसमें कहा जा रहा है कि उसके पास से खुशी मोहम्मद पुत्र अल्लाह बख्श के नाम से पाकिस्तानी राष्ट्रीय पहचान पत्र मिला है। सरबजीत ने कहा है कि यह पहचान पत्र मेजर अब्बास ने तैयार किया था जो मामले में अभियोजन पक्ष का गवाह है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, July 7, 2012, 12:39