कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे: गिलानी - Zee News हिंदी

कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे: गिलानी



इस्लामाबाद/लाहौर : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने न्यायपालिका के साथ किसी तरह का टकराव नहीं करने पर जोर देते हुए कहा है कि वह देश के शीर्ष कोर्ट के फैसलों का सम्मान करेंगे। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने में गिलानी की नाकामी पर सबसे बड़ी अदालत उनको अदालती अवमानना के मामले में आरोपी बनाने की तैयारी में है।

 

गिलानी का यह ताजा बयान आज उस वक्त आया है, जब खबर आई कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेतृत्व ने उच्चतम न्यायालय के कदम को चुनौती देने का फैसला किया है। लाहौर में यह पूछे जाने पर कि अदालती अवमानना के मामले में दोषी करार दिए जाने की आशंका को देखते हुए वह क्या महसूस कर रहे हैं, तो गिलानी ने कहा कि मैं अदालत के फैसले का सम्मान करूंगा। यह मामला अदालत में है और मेरे वकील इस पर बोलेंगे। गिलानी ने जोर दिया कि उनकी सरकार न्यायपालिका और किसी भी सरकारी संस्था के साथ ना रिपीट ना तो अतीत में टकराव चाहती थी और ना रिपीट ना ही भविष्य में ऐसा चाहती है।

 

माना जा रहा है कि उनके वकील एतजाज अहसन अगले कुछ दिनों में न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करेंगे। न्यायालय ने गिलानी को अवमानना का आरोपी बनाने के लिए 13 फरवरी को सम्मन किया है। उधर, एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक न्यायपालिका से कोई टकराव मोल लिए बिना सत्तारूढ़ पीपीपी के शीर्ष नेतृत्व ने गिलानी के खिलाफ अदालती अवमानना के आरोप लगाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के कदम को चुनौती देने का फैसला किया है । समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार का इस संबंध में कोई भी कदम अगले महीने होने वाले संसदीय चुनाव पर निर्भर करता है।

 

सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सीनेट के लिए होने वाले चुनाव पर किसी चीज का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। दी रिपोर्ट कहती है कि पीपीपी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने कार्यकर्ताओं को सलाह दी है कि वे प्रभावशाली न्यायपालिका के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयानबाजी नहीं करें। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपीपी इस तर्क के आधार पर अदालत में मामले को लड़ेगी कि जरदारी को देश के भीतर और बाहर सभी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही से संविधान के तहत छूट प्राप्त है। शीर्ष अदालत में कल की कार्यवाही के बारे में प्रतिक्रिया पूछे जाने पर अधिकतर पीपीपी नेता चुप्पी साधे रहे।

 

पीपीपी के एक नेता ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि हमें समीक्षा का अधिकार है, जैसा कि प्रधानमंत्री के वकील ने कहा है। उन्होंने कहा कि किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि 18वें संशोधन के बाद निष्पक्ष सुनवाई को किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।

(एजेंसी)

First Published: Friday, February 3, 2012, 21:08

comments powered by Disqus