Last Updated: Friday, November 25, 2011, 11:25
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के शीर्ष न्यायालय ने अपनी एक व्यवस्था पर पुनर्विचार करने संबंधी सरकारी याचिका को आज खारिज कर दिया, जिससे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी समेत कई शीर्ष नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों के दोबारा शुरू होने की संभावना बढ़ गई है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इफ्तिकार चौधरी की अध्यक्षता वाली 17 न्यायाधीशों की पीठ ने यह फैसला सुनाया। दिसंबर 2009 की इस व्यवस्था में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की ओर से पारित किए गए राष्ट्रीय सुलह सफाई अध्यादेश (एनआरओ) को असंवैधानिक ठहराया गया था, जिसके जरिए भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को माफी देने का प्रावधान था।
न्यायालय ने अधिकारियों से इस मुद्दे पर पहले दिए गए आदेश का बिना विलंब अक्षरश: पालन करने को कहा है। याचिका को खारिज करने से पहले न्यायालय ने पांच दिन तक मामले की सुनवाई की। जरदारी के निकट सहयोगी और पूर्व कानून मंत्री बाबर अवान सरकार की ओर से न्यायालय में उपस्थित हुए।
गौरतलब है कि मुशर्रफ ने दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के साथ हुए गुप्त समझौते के तहत अक्टूबर 2007 में इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी और शीर्ष न्यायालय ने 16 दिसंबर 2009 को इसे रद्द कर दिया था। इसी समझौते के तहत मुशर्रफ सेना प्रमुख रहते हुए राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़कर सत्ता में बने रह पाए थे।
दूसरी तरफ आत्म निर्वासन में रह रहे बेनजीर और जरदारी को भी भ्रष्टाचार के मामलों का सामना किए बगैर पाकिस्तान वापस आने का मौका मिला। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार एनआरओ के तहत बंद किए गए भ्रष्टाचार के मामलों को दोबारा शुरू करने के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करने में असफल रही है। इसी कानून के तहत पाकिस्तान के पूर्व अटॉर्नी जनरल ने अप्रैल 2008 में स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को जरदारी के खिलाफ मामलों को बंद करने के लिए पत्र लिखा था।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 25, 2011, 16:55