Last Updated: Wednesday, December 19, 2012, 18:45

लंदन : मां की जिंदगी को खतरा होने पर आयरलैंड गर्भपात कानून को मंजूरी देने को तैयार हो गया है। यूरोपीय देश आयरलैंड ने कहा है कि वह गर्भपात को वैध करेगा। यह फैसला 31 वर्षीय सविता हल्लपनवार की मौत को लेकर हर ओर हो रही आयरलैंड की कड़ी आलोचना के बाद आया है।
मालूम हो कि गालवे यूनिवर्सिटी अस्पताल में बीते 28 अक्तूबर को सविता की मौत इसलिए हो गई थी कि हालत खराब होने के बावजूद उसे गर्भपात की अनुमति नहीं मिली थी। वह 17 सप्ताह की गर्भवती थी और रक्तस्राव से जूझ रही थी। सविता के पति ने कहा था कि उन्होंने पत्नी का गर्भपात कराने के लिए बार-बार अनुरोध किया लेकिन अनुमति नहीं मिली। उससे कहा गया कि गर्भस्थ भ्रूण के दिल की धड़कन चल रही है तथा कैथोलिक देश होने के नाते आयरलैंड गर्भपात की इजाजत नहीं दे सकता।
टेलीग्राफ ने खबर दी है कि आयरलैंड सरकार ने उस कानून को निरस्त करने का निर्णय लिया है जो गर्भपात को आपराधिक कृत्य ठहराता है। सरकार ने ऐसा कानून लाने का फैसला किया है कि महिला की जान जोखिम में रहने की स्थिति में डॉक्टर उसका गर्भपात कर सकते हैं। अखबार के अनुसार स्वास्थ्य मंत्री डॉ. जेम्स रीली ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि ज्यादातर लोगों की इस मामले पर निजी राय है। लेकिन सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है कि आयरलैंड में गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो। हम उनकी देखभाल का अपना कर्तव्य पूरा करेंगे।’
रीली ने कहा, ‘इसके लिए हम उस स्थिति के लिए कानून एवं नियम में यह स्पष्ट करेंगे कि जब गर्भ से महिला की जान को खतरा पैदा हो जाए तो इलाज के दौरान क्या किया जाए। हम यह भी स्पष्ट करेंगे कि चिकित्सकों के लिए अजन्मे बच्चे के जीवन के समान अधिकार पर ध्यान रखते हुए महिला की चिकित्सकीय देखभाल के दौरान कानूनी रूप से क्या जरूरी है।’ आयरलैंड का गर्भपात कानून यूरोप में सबसे कठोर है और इसे गैर आपराधिक बनाए जाने से संबंधित किसी भी कानून से देश में तेज बहस छिड़ सकती है क्योंकि यह रोमन कैथोलिक देश है।
प्रधानमंत्री इंडा केन्नी ने कहा कि नए साल में मसौदा कानून प्रकाशित हो जाएगा और ईस्टर तक कानून तैयार हो जाएगा। टेलीग्राफ अखबार के मुताबिक इस कानून को संसद से पारित कराने के लिए सरकार सत्तारुढ़ फाइन गेल पार्टी के सांसदों के लिए व्हिप जारी करेगी। पार्टी इन प्रस्तावों पर बुरी तरह बंटी है। आयरलैंड के मंत्रिमंडल का फैसला यूरोपीय मानवाधिकार अदालत के दबाव के बाद आया है। अदालत ने व्यवस्था दी थी कि जब महिला की जान जोखिम में हो तब गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 19, 2012, 10:14