Last Updated: Tuesday, March 20, 2012, 12:46
मास्को : रूस की एक अदालत ने भगवद् गीता के अनूदित संस्करण पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती याचिका पर अपना फैसला कल तक के लिये सुरक्षित रखा। मास्को इस्कॉन के साधू प्रिय दास ने बताया अंतिम फैसला कल आयेगा। साइबेरिया के तोमस्क शहर के सरकारी वकीलों ने एक याचिका दायर कर अनूदित संस्करण को उग्र साहित्य बताया है। उनका कहना है कि इसमें नफरत भरी है और इसमें गैर आस्थावान लोगों का अपमान किया गया है जिससे सामाजिक कलह पैदा हो गया है। दास ने कहा कि इस्कान के सदस्यों को अपने पक्ष में फैसला आने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, हम कुछ नहीं कह सकते। हमारे पास मजबूत कानूनी टीम है और हमारा मामला मजबूत है। इस्कॉन मीडिया कम्युनिकेशन्स इन इंडिया के निदेशक ब्रजेन्द्र नंदन ने कहा, सुनवाई 15 मिनट तक चली और अदालत ने फैसला कल तक के लिये टाल दिया।
तोमस्क की एक अदालत ने 28 दिसम्बर को उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें भगवद् गीता के अनूदित संस्करण पर प्रतिबंध की मांग की गयी थी। भारत ने इसे संवेदनशील मुद्दे का तार्किक समाधान बताया था। तोमस्क के क्षेत्रीय महा अभियोजक वैसली वोइकिन ने अब इस पुस्तक में एक टिप्पणी के रूसी अनुवाद को उग्र बताते हुए उस पर प्रतिबंध की मांग की है न कि इसके प्रामाणिक पाठ को। अनूदित संस्करण पर प्रतिबंध की मूल याचिका जून 2011 में दायर की गयी और उस पर सुनवाई की दुनियाभर में प्रतिक्रिया देखी गयी।
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने रूसी सरकार से मुद्दे के जल्द समाधान में मदद का आग्रह किया।
भगवद्गीता पहली बार रूस में 1788 में प्रकाशित हुई और तब से कई बार विभिन्न भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 20, 2012, 18:16