Last Updated: Monday, November 19, 2012, 16:25

नोम पेन्ह (कंबोडिया) : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन के साथ बढ़ते व्यापार असंतुलन पर चीन के समक्ष अपनी चिंता जाहिर करते हुए भारत की आधारभूत परियोजनाओं में चीनी निवेश आमंत्रित किया है।
हालांकि, चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने इस पर कहा कि इस समस्या का समाधान धीरे-धीरे किया जा सकता है।
भारत और चीन के बीच इस महीने के आखिर में दूसरी रणनीतिक आर्थिक बातचीत होने जा रही है। इस बैठक में, विशेषकर ऐसे समय जब पश्चिम देशों में संकट गहरा रहा है, तेजी से आगे बढ़ती दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यावसायिक रिश्तों को और विस्तार देने पर जोर रहेगा।
रणनीतिक आर्थिक बातचीत का दौर पूरा होने के बाद दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा से जुड़े मसलों और दूसरे मुद्दों पर बातचीत के अगले दौर के लिए तिथि तय होगी। यह बैठक जल्द ही चीन में होगी।
यहां दोनों नेताओं की आसियान सम्मेलन से इतर हुई 40 मिनट की मुलाकात में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ आर्थिक सहयोग, सीमा से जुड़े मुद्दे, रक्षा, समुद्री क्षेत्र सुरक्षा जैसे विविध क्षेत्रों के बारे में विचार विमर्श हुआ।
दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि भारत और चीन के समक्ष विकास की काफी संभावनाएं मौजूद हैं और इसके साथ ही दोनों के बीच आपसी सहयोग भी बढ़ सकते हैं। वेन ने कहा कि उनके देश का भारत के प्रति रुख इसी सिद्धांत से प्रेरित है।
विदेश सचिव रंजन मथाई ने इस फलदायी और विस्तृत बैठक के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा,‘प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस आर्थिक मुलाकात को काफी महत्व दिया।’ पिछले आठ सालों में दोनों नेताओं के बीच यह 14वीं बैठक थी।
मथाई ने बताया कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वह दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग में उपलब्ध संभावनाओं का पूरा फायदा उठाने को प्रतिबद्ध हैं। मनमोहन ने भारतीय निर्यात के बारे में कहा,‘सेवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मा क्षेत्रों में भारतीय निर्यात को अधिक बाजार पहुंच मिलनी चाहिए।’
प्रधानमंत्री ने ढांचागत सुविधाओं के क्षेत्र में भी चीनी निवेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी और दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन की भरपाई हो सकेगी।
वेन ने इसके जवाब में कहा,‘वह व्यापार में धीरे-धीरे संतुलन आने की उम्मीद कर रहे हैं और उन्हें (चीन को) इन विशेष क्षेत्रों में भारत की रुचि की जानकारी है।’ मथाई ने कहा,‘उन्होंने (वेन ने) व्यापार में संतुलन की आवश्यकता को माना और कहा कि यह काम धीरे-धीरे होगा।’
भारत चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे से चिंतित है। यह चीन के पक्ष में है और इस समय यह 23 अरब डॉलर पर है।
सिंह ने इस बात पर भी गौर किया कि दोनों देशों के बीच नवंबर अंत में रणनीतिक आर्थिक बातचीत होने जा रही है।
भारत की तरफ से इसका नेतृत्व योजना आयोग के उपाध्यक्ष और चीन की तरफ से राष्ट्रीय विकास आयोग के प्रमुख करेंगे। बैठक में ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर बातचीत होगी।
मथाई ने चीन के प्रधानमंत्री के हवाले से कहा आर्थिक विशेषज्ञों सहित चीन का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल इस बैठक के लिए भारत की यात्रा करेगा।
भारत और चीन के बीच विकास के लिए बेहतर संभावनाओं के वेन के विचारों को समर्थन देते हुए सिंह ने दोनों देशों के बीच बातचीत के व्यापक एजेंडे का जिक्र किया जो दोनों देशों के बीच विकसित हुआ और इसमें समुद्री सुरक्षा सहित पश्चिम एशिया, मध्य एशिया से जुड़े मुद्दे भी शामिल हुए हैं।
दोनों देशों के बीच बढ़ते मेलमिलाप को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि पिछले आठ सालों के दौरान वेन के साथ उनकी कई बैठकें हुई। इसके अलावा चार बार इसी साल विदेश मंत्री, वाणिज्य मंत्री और रक्षा मंत्री से भी उनकी मुलाकात हुई।
सिंह और वेन इससे पहले 14 बार मिल चुके हैं और वेन ने कहा प्रधानमंत्री सिंह के साथ उनकी आज की मुलाकात अंतिम हो सकती है क्योंकि वह (वेन) मार्च में पदमुक्त हो रहे हैं।
वेन ने कहा,‘हमने अपने बीच बेहतर कामकाजी और दोस्ताना रिश्ते स्थापित किए। यह हम जैसे दो बड़े राष्ट्रों के बीच दोस्ताना रिश्तों को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा,‘मेरे शेष बचे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच संभवत: यह आखिरी मुलाकात है।’ सिंह ने द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत, व्यापक और गहरा बनाने के लिए वेन के व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस मामले में विशेष तौर पर वेन की 2005 और 2010 में हुई दो भारत यात्राओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इससे रिश्तों में मजबूती लाने में मदद मिली है। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 19, 2012, 13:26