Last Updated: Saturday, February 11, 2012, 09:14
वाशिंगटन: अमेरिका के साथ तनाव के बीच चीन से अपने रिश्ते को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान गिलगिट बाल्टिस्तान 50 सालों के लिए बीजिंग को देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है ।
अमेरिका के प्रतिष्ठित मिडल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जारी अपनी रिपोर्ट में स्थानीय उर्दू अखबारों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान का यह कदम अमेरिका के साथ कभी भर न सकने वाले दरारों के बीच चीन के साथ संबंधों को पूरी तरह मजबूत करने के लिए है । रिपोर्ट के मुताबिक, गिलगिट बाल्टिस्तान के लिए पाकिस्तान चीन सामरिक कार्यक्रम का फैसला संभवत: सेना प्रमुख जनरल परवेज अशरफ कयानी की जनवरी 2012 में चीन यात्रा के दौरान लिया गया ।
खबर में बताया गया कि पाकिस्तान में बिगड़ती स्थिति , अमेरिका से साथ तनावपूर्ण संबंधों के आलोक में गिलगिट बाल्टिस्तान चीन को 50 साल की लीज पर देने पर विचार शुरू हो गया है । एफबीआई के एक पूर्व अधिकारी की अगुवाई वाले अमेरिकी थिंक टैंक के मुताबिक, उर्दू अखबार की खबर में कहा गया कि चीन की एक थिंक र्टैंक ने भी हरी झंडी दे दी है ।इस अखबार को पाकिस्तानी सीमा चौकी पर नाटो हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने के तीन हफ्तों के भीतर 13 दिसंबर 2011 को गिलगिट बालिटस्तान में वितरित किया गया ।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन 50 सालों के लिए गिलगिट बाल्टिस्तान को पूरी तरह अपनी नियंत्रण में ले लेगा और अपनी सेना को वहां तैनात करेगा ।
अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा कि पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल परवेज अशरफ कयानी की 4- 8 जनवरी की पांच दिवसीय चीन यात्रा के कारण रोजनामा बंग ए सहर की रिपोर्ट महत्वपूर्ण हो जाती है । बीजिंग में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ बैठक में जनरल कयानी ने कहा कि चीन पाकिस्तान सामरिक साझेदारी दोनों देशों की नीतियों के लिए महत्वपूर्ण हैं ।
अपनी टिप्पणी में चीनी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘चीनी सरकार और सेना दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना और ज्यादा से ज्यादा सैन्य आदान प्रदान जारी रखेगी ।’ उर्दू अखबार में प्रकाशित खबरों के हवाले से वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक ने कहा कि पाकिस्तानी और चीनी सेना गिलगिट बाल्टिस्तान के संयुक्त सैन्य प्रबंधन की दिशा की ओर बढ रहे हैं ।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, February 12, 2012, 10:33