Last Updated: Friday, May 24, 2013, 20:23
ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसीकरांची : पाकिस्तान में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्वादार बंदरगाह का नियंत्रण चीन के हाथ में आना तय माना जा रहा है। पाक सरकार अब चीन को उसके प्रबंधन का कार्य सौपने जा रहा है। दरअसल बलूचिस्तान प्रांत में पड़ने वाले इस बंदरगाह के विकास और प्रबंधन का ठेका सिंगापुर पोर्ट अथॉरिटी (एसपीए) और उसके भागीदारों के नाम था पर वे अब 40 साल के अनुबंध से हाथ खींचना चाहता है। पाकिस्तान सरकार ने एसपीए, इसके भागीदार नेशनल लॉजिस्टिक्स सैल और एसपीए ग्रुप को इस परियोजना से हटने की मंजूरी दे दी है।
उल्लेखनीय है कि ये कंपनियां बंदरगाह के मुहाने पर 584 एकड़ जमीन का कब्जा अपने पास किए जाने की मांग कर रही थीं पर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो इन कंपनियों ने परियोजना से हाथ खींचने का मन बना लिया। यह जमीन पाकिस्तानी नौसेना के पास है।
बंदरगाह एवं जहाजरानी मंत्री बाबर खान गौरी ने गुरुवार को पाकिस्तानी संसद की बंदरगाह और जहाजरानी संबंधी समिति की बैठक में कहा कि हम अनुबंध से जु़ड़ी जरूरतें पूरी नहीं कर सके और न ही भूमि संबंधी मुद्दे को सुलझा सके। नतीजतन एसपीए और उसके भागीदार दबाव में थे और हमने गुरुवार को उन्हें अनुबंध खत्म करने के संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया।
गौरी का कहना है कि अब ग्वादार बंदरगाह का प्रबंधन चीनियों के हाथ में होगा। उन्होंने संकेत दिया कि चीन बलूचिस्तान में बंदरगाह के विकास पर 10 अरब डालर का निवेश करेगा और इसका परिचालन करेगा। हालांकि उन्होंने इसका ब्यौरा नहीं दिया। चीनी सरकार द्वारा 28.8 अरब डालर की लागत से गहरे समुद्र में बनाए गए पाकिस्तान के इकलौते बंदरगाह को फरवरी 2007 में एसपीए को 40 साल के समझौते के तहत सौंपा गया था। लेकिन उसके हटने के बाद इसे चीन को सौंपने की तैयारी चल रही है।
First Published: Friday, May 24, 2013, 20:16