...जब अमेरिका ने बांग्लादेश में पाक सेना के खूनखराबे का किया था समर्थन

...जब अमेरिका ने बांग्लादेश में पाक सेना के खूनखराबे का किया था समर्थन

वाशिंगटन : चार दशक से भी अधिक समय पहले निक्सन प्रशासन ने जानबूझकर अमेरिकी कानून को तोड़ते हुए बांग्लादेश के खिलाफ पाकिस्तानी सेना का समर्थन किया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अपनाए गए सख्त रवैये के विरोध में चीन को भारतीय सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजने के लिए प्रोत्साहित किया था। प्रिंस्टन के इतिहासकार गैरी बास ने अपनी नयी किताब ‘दी ब्लड टेलीग्रामः निक्सन, किसिंजर एंड ए फोरगोटन जिनोसाइड’ में बताया है कि किस प्रकार तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने ऐतिहासिक स्वतंत्र चुनाव परिणामों को नृशंस तरीके से रद्द करने वाले पाकिस्तानी सेना के तानाशाहीपूर्ण रवैये का समर्थन किया था।

पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान पर दमनात्मक कार्रवाई की थी जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लाखों शरणार्थी भारत चले गए थे। इसे 20वीं सदी का सबसे बुरा मानवीय संकट माना जाता है। 24 सितंबर को बाजार में आने वाली इस किताब में लिखा गया है कि निक्सन. किसिंजर किस कदर भारत और इंदिरा गांधी से नफरत करते थे और किस हद तक जाकर उन्होंने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए मजबूत नैतिक रूख का विरोध किया था।

बास ने किताब में लिखा है कि निक्सन और किसिंजर शीतयुद्ध के दौर में सोचते थे लेकिन साथ ही वे भारत और उसकी नेता इंदिरा गांधी के लिए निजी दुश्मनी भी पाले हुए थे। उन्होंने लिखा है कि इन दोनों ने गोपनीय तरीके से चीन को भारतीय सीमा पर अपने सैनिकों को भेजने को प्रोत्साहित किया और गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तानी सेना को हथियारों की आपूर्ति की।
व्हाइट हाउस के अब तक गोपनीय रहे टेपों के आधार पर किताब में इंदिरा गांधी के खिलाफ निक्सन-किसिंजर की नफरत का ताजा ब्यौरा दिया गया है और बताया गया है कि किस प्रकार तत्कालीन अमेरिकी नेतृत्व ने इस्लामाबाद के खिलाफ वोट देने वाले मासूम लोगों को मौत के घाट उतारे जाने का समर्थन किया। इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तानी सेना के नृशंसता से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की जिंदगी को बचाने का फैसला किया। बास ने अपनी 500 पन्नों की किताब में लिखा है कि किसिंजर ने भारत के खिलाफ तीन खतरनाक कदमों का प्रस्ताव किया था।

बास लिखते हैं, अमेरिका गैर कानूनी रूप से ईरान और जॉर्डन को अमेरिकी विमानों का बेड़ा पाकिस्तान भेजने की अनुमति देगा, गोपनीय तरीके से चीन को अपने सैनिकों को भारतीय सीमा पर भेजने को कहेगा और भारत को धमकाने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक अमेरिकी विमानवाहक पोत को तैनात करेगा। उन्होंने निक्सन से अपील की कि इन तीनों कार्रवाई को एक साथ अंजाम देकर भारत को चौंका दें। किताब में लिखा गया है कि चीन ने अपने सैनिकों को भारतीय सीमा पर भेजे जाने पर कुछ अड़ियल रूख दिखाया तो निक्सन ने तर्क दिया, हम चीन की मदद के बिना ऐसा नहीं कर सकते। मैं जिस हिसाब से चीजों को देखता हूं, चीन को सीमा पर जाना ही होगा। भारतीयों को थोड़ा सा डराना पड़ेगा।

बास के अनुसार, किसिंजर सहमत हो गए लेकिन प्रस्ताव दिया कि उन्हें चीन को बताना चाहिए कि निक्सन गोपनीय तरीके से क्या कर रहे हैं और साथ ही चीन को भारतीय सीमा पर अपने सैनिकों को भेजने का फायदा भी बताना होगा। पाकिस्तान को गुप्त रूप से सैन्य उपकरण भेजने के संबंध में किसिंजर ने निक्सन को बताया, हम अपने जनमत के खिलाफ, अपने लोकतंत्र के खिलाफ और गैर कानूनी रूप से काम कर रहे हैं। बास लिखते हैं, वास्तव में, पाकिस्तान की मदद करने के लिए निक्सन और किसिंजर ने जानबूझकर अमेरिकी कानून को तोड़ा और ऐसा जार्ज डब्ल्यू बुश, एच आर हेल्डमैन, एलेक्जेंडर हेग और अन्य नेताओं की पूरी जानकारी में हुआ।

तत्कालीन पाकिस्तानी तानाशाह जनरल याह्या खान ने युद्ध के दूसरे दिन ही अमेरिका से मदद की भीख मांगी। उन्होंने कहा, भगवान के लिए, तीसरे मित्र देशों की ओर से मदद को बाधित न करें। किसिंजर ने निक्सन से कहा, यदि युद्ध जारी रहता है तो ईरान के जरिए सहायता दो। निक्सन ने राहत की सांस लेते हुए कहा, बहुत बढ़िया, कम से कम पाकिस्तान को पंगु होने से बचाया जा सकेगा। किताब के अनुसार, ईरान के शाह पाकिस्तान को ईरानी सैन्य उपकरण भेजे जाने की अमेरिकी अपील पर राजी हो गए। इसमें शर्त यह थी कि ईरान जो भी भेजेगा, अमेरिका उसकी भरपाई करेगा।

यह सब, पेंटागन और अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों के निक्सन और किसिंजर को यह बताने के बावजूद हुआ कि यह अमेरिकी कानून के खिलाफ है। लेकिन दोनों अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ थे। निक्सन अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति थे और उनका कार्यकाल 1969 से 1974 तक रहा। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, September 10, 2013, 18:28

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