जरदारी की वापसी सिर्फ ‘अतिथि भूमिका’ - Zee News हिंदी

जरदारी की वापसी सिर्फ ‘अतिथि भूमिका’

 

वाशिंगटन : पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की स्वदेश वापसी एक ‘अतिथि भूमिका’ (कैमियो अपीयरेंस) की तरह हो सकती है और मरहूम बीवी बेनजीर भुट्टों की मौत की चौथी बरसी के बाद वह हमेशा के लिए पाकिस्तान को अलविदा कह देंगे।

 

पाकिस्तान और पश्चिमी देशों के अधिकारियों के हवाले से अमेरिकी समाचार पत्र ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने खबर दी है कि जरदारी की वापसी सिर्फ बेनजीर के इंतकाल की बरसी को लेकर हुई है। आगामी 27 दिसंबर को बेनजीर की चौथी बरसी है।

 

अखबार का कहना है कि मरहूम बीवी की बरसी में शामिल होने के बाद 56 वर्षीय जरदारी लंदन अथवा दुबई को स्थायी तौर पर अपना ठिकाना बना सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि जरदारी की वापसी इसलिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि उनके जाने के बाद से सेना की भूमिका बढ़ने और असैन्य सरकार के कमजोर होने की चिंता पनप रही थी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने मेमोगेट मामले में जरदारी की भूमिका के संदर्भ में भी सुनवाई कर रहा है। न्यायालय ने पाकिस्तानी सरकार से अधिक विवरण मांगा है और मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को करेगा।

 

सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी और आईएसआई प्रमुख अहमद शूजा पाशा ने अदालत से आग्रह किया कि विवादास्पद ज्ञापन के स्रोत के बारे में जांच की जाए। हृदय संबंधी बीमारी के उपचार के लिए दुबई गए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी रविवार देर रात स्वदेश लौट गए। उनकी बीमारी और स्वदेश लौटने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।

 

गौरतलब है कि जरदारी छह दिसंबर को इलाज के लिए अचानक दुबई चले गए थे, जिसके चलते यह अटकलें लगाई जा रही थी कि उन्होंने अमेरिकी सेना को एक गोपनीय पत्र भेजे जाने के मद्देनजर देश की शक्तिशाली सेना द्वारा इस्तीफे के लिए दबाव डाले जाने पर ऐसा किया होगा। इसी साल मई में अमेरिकी अभियान में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान की असैन्य सरकार ने कथित तौर पर अमेरिकी प्रशासन को एक ज्ञापन भेजा था, जिसमें सेना की ओर से तख्तापलट किए जाने की आशंका के मद्देनजर अमेरिका से मदद मांगी गई थी। इसे मेमोगेट विवाद नाम दिया गया और इसने पाकिस्तान की राजनीति में सियासी भूचाल पैदा कर दिया था।

(एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 21, 2011, 11:22

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