Last Updated: Tuesday, September 25, 2012, 13:55
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दोबारा खोलने के लिए स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को भेजे जाने वाले पत्र का मसौदा पाकिस्तान की सरकार ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में पेश किया। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने पत्र के मसौदे और इससे पहले के पत्र में अंतर का उल्लेख किया।
जियो न्यूज के मुताबिक, कानून मंत्री फारूक एच. नाइक ने सर्वोच्च न्यायालय में पत्र का मसौदा पेश किया। उन्होंने प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ का पत्र भी न्यायालय में सौंपा, जिसमें अशरफ ने उन्हें स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को पत्र लिखने का अधिकार दिया है।
राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) को लागू करने से सम्बंधित मामले की सुनवाई करते हुए पत्र के मसौदे की विषय-वस्तु पर भी आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति आसिफ खोसा ने इस मामले में पूर्व महान्यायवादी मलिक कयूम तथा सरकार की ओर से लिखे गए पत्र के मसौदे की संदर्भ संख्याओं में अंतर का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री अशरफ ने 18 सितंबर को न्यायालय में कहा था कि सरकार ने परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले बंद करने सम्बंधी भेजा गया पत्र वापस लेने का निर्णय किया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने जरदारी और उनकी पत्नी तथा पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें एनआरओ के तहत आम माफी दे दी थी।
इसके तहत राजनेताओं तथा नौकरशाहों को भ्रष्टाचार के मामलों में अभियुक्त बनाने से छूट दी गई। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में इस अध्यादेश को निरस्त कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने इस साल जनवरी में तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए कहा था। उन्होंने हालांकि ऐसा नहीं किया। न्यायालय ने 26 अप्रैल को उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया। 19 जून को उन्हें संसद की सदस्यता तथा प्रधानमंत्री पद के अयोग्य ठहरा दिया गया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 25, 2012, 13:55