जरदारी पर मामले चलाने के लिए पाक पीएम पर दबाव बढ़ा

जरदारी पर मामले चलाने के लिए पाक पीएम पर दबाव बढ़ा

जरदारी पर मामले चलाने के लिए पाक पीएम पर दबाव बढ़ाइस्लामाबाद : पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ पर दबाव बढ़ाते हुए पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आज उनसे स्विट्जरलैंड में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के अपने आदेश पर 12 जुलाई तक जवाब देने को कहा।

इसी मुद्दे पर अशरफ के पूर्ववर्ती यूसुफ रजा गिलानी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। न्यायमूर्ति नसीर उल मुल्क की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अटॉर्नी जनरल इरफान कादिर को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री गिलानी को भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करने से इंकार करने की वजह से अवमानना का दोषी ठहराया गया और सजा दी गई थी।

पीठ ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा कि उसे उम्मीद है कि नए प्रधानमंत्री कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करेंगे।
न्यायाधीशों ने अटॉर्नी जनरल से प्रधानमंत्री के साथ विचार विमर्श करने और उनके रूख से उसे मामले की अगली सुनवाई के दौरान अवगत कराने को कहा है। अगली सुनवाई 12 जुलाई को नियत की गई है।

सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के प्रमुख आसिफ अली जरदारी के करीबी अशरफ को गिलानी की जगह प्रधानमंत्री बनाया गया है। गिलानी को अवमानना का दोषी ठहराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 19 जून को अयोग्य घोषित कर दिया था।

गिलानी ने जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों से संपर्क करने के शीर्ष अदालत के बार बार दिये गये आदेशों को नहीं माना, जिसके बाद उन्हें दोषी करार दिया गया और 26 अप्रैल को सांकेतिक सजा दी गयी। गिलानी ने दलील दी थी कि राष्ट्रपति को पाकिस्तान में और विदेश में छूट प्राप्त है और सरकार कुछ नहीं कर सकती।

नये प्रधानमंत्री अशरफ ने भी पद संभालने के कुछ ही देर बाद रविवार को कहा था कि पीपीपी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह जरदारी के खिलाफ मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र नहीं लिखेगी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उनके तथा गिलानी के बीच कोई अंतर नहीं है। अशरफ ने यह भी कहा था कि उनकी सरकार अन्य संस्थानों से टकराव नहीं चाहती और संविधान एवं कानून के अनुसार काम करेगी।

सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति के खिलाफ दिसंबर, 2009 से मामलों को फिर से खोलने के लिए सरकार पर दबाव बनाता रहा है। तब अदालत ने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा जरदारी और 8,000 अन्य लोगों को दी गयी माफी को रद्द कर दिया था। पीपीपी ने दावा किया है कि न्यायपालिका और खासकर प्रधान न्यायाधीश सत्तारूढ़ पार्टी और उसके नेताओं से जुड़े मामलों में निष्पक्ष नहीं रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश का नाम भी उस वक्त आलोचनाओं के घेरे में आया जब रियल इस्टेट व्यापारी मलिक रियाज हुसैन ने दावा किया कि उसने शीर्ष अदालत में मामलों में हेरफेर के लिए मुख्य न्यायाधीश के बेटे को 34.2 करोड़ रुपये दिये थे। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, June 27, 2012, 13:47

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