Last Updated: Wednesday, June 27, 2012, 19:23

लाहौर : पाकिस्तान के लाहौर उच्च न्यायालय ने आज राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को अपने एक पुराने आदेश को मानने का निर्देश दिया, जिसे नहीं मानने की सूरत में उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है। इस आदेश में राष्ट्रपति से राजनैतिक गतिविधियों से अलग होने को कहा गया था।
न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति उमर अता बांदियाल की अध्यक्षता वाली इस तीन सदस्यीय पीठ ने जरदारी के खिलाफ दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए। इन याचिकाओं में जरदारी के खिलाफ सत्तारुढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख के राजनैतिक कार्यालय से इस्तीफा नहीं देने का मामला उठाया गया था।
न्यायमूर्ति उमर ने कहा, न्यायालय एक आदेश जारी कर राष्ट्रपति को इस मामले में लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश को मानने का निर्देश देता है, जिसे नहीं मानने पर उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शुरू हो सकती है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 12 मई 2011 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह जल्द से जल्द राजनैतिक गतिविधियों से अलग हो जाएंगे।
न्यायालय ने कहा कि इस आदेश को मानने के लिए राष्ट्रपति को पर्याप्त वक्त दिया जाएगा। साथ ही याचिकाकर्ताओं से भी पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 248 के तहत कोई छूट मिली हुई है। एक याचिकाकर्ता के वकील ए के डोगर ने दावा किया कि राष्ट्रपति को दीवानी मामलों में कोई छूट नहीं मिली हुई है। डोगर लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के भी वकील हैं।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने 25 जून को हुई पिछली सुनवाई में राष्ट्रपति के प्रधान सचिव को तलब किया था, लेकिन सचिव न तो न्यायालय में पेश हुए न ही उन्होंने आज जवाब पेश किया। दूसरे याचिकाकर्ता मुहम्मद अजहर सिद्दीकी ने न्यायालय से कहा कि जरदारी ने खुद को राजनैतिक गतिविधियों से अलग नहीं किया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 27, 2012, 19:23