Last Updated: Friday, November 4, 2011, 11:28
कान (फ्रांस) : भारत जी-20 देशों के बीच इस बात पर आम सहमति बनाने पर जोर दे रहा है कि कालेधन से निपटने के लिए बैंकों से पुरानी सूचनाओं के आदान-प्रदान की भी व्यवस्था हो। भारत का मानना है कि कर चोरी के पुराने मामलों से निपटने के लिए यह जरूरी है।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव आर. गोपालन ने कहा कि पहले के बैंकिंग आंकड़ों को साझा करने के लिए आम सहमति बनना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कर चोरी के पिछले मामलों की जांच में मदद मिलेगी। उन्होंने इस संबंध में जोर देकर कहा कि बैंक गोपनीयता का युग खत्म हो चुका है।
गुरुवार रात कर मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता समझौते पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित समारोह में गोपालन ने कहा, ‘अगर जी-20 के लंदन शिखर सम्मेलन की इस भावना का सम्मान करना है कि ‘बैंक गोपनीयता का युग समाप्त हो चुका है’, तो ऐसा (बैंकों की पुरानी जानकारियों के आदान-प्रदान की व्यवस्था का सम्मान) किया जाना जरूरी है।’ जी-20 शिखर सम्मेलन में अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ आए गोपालन ने यह भी कहा कि भारत चीन और सउदी अरब के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करेगा।
उन्होंने कहा कि कर चोरी की समस्या और अवैध पूंजी प्रवाह को रोकने के लिए भारत कर सूचना के आदान-प्रदान के संबंध में पहले ही 58 समझौते कर चुका है। गुरुवार को शिखर सम्मेलन में हस्तक्षेप के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि कर चोरी और अवैध पूंजी प्रवाह गंभीर समस्या पैदा कर रहे हैं। जी-20 को ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए एक मजबूत संदेश देना चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 4, 2011, 16:58