Last Updated: Friday, March 23, 2012, 11:04
इस्लामाबाद : अमेरिका ने पाकिस्तान के अशांत कबीलाई इलाकों में अल कायदा और तालिबान उग्रवादियों के खिलाफ ड्रोन हमलों संबंधी अपनी नीति की समीक्षा करने से इनकार कर दिया है। हालांकि पाकिस्तान की एक संसदीय समिति ने इस संबंध में पुरजोर सिफारिश की थी।
ड्रोन हमलों संबंधी अमेरिकी रुख से अमेरिकी राजदूत कैमरन मुंटर ने गुरुवार को एक मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार को अवगत करा दिया। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। अमेरिका के साथ रिश्तों की रूपरेखा तय करने के लिए मुंटर ने खार से मुलाकात की थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी संसदीय समिति ने इस सप्ताह के शुरुआत में संसद में रखी गई अपनी रिपोर्ट में अमेरिका के साथ संबंधों को पटरी पर लाने के लिए 40 सिफारिशें सुझाईं थीं। यह रिपोर्ट नेशनल एसेम्बली और सीनेट की संयुक्त बैठक में पेश की गई। इन सिफारिशों में एक सिफारिश यह भी है कि अफगानिस्तान को पाकिस्तान के जरिए होने वाली सभी अमेरिकी और नाटो सामान आपूर्ति पर कर लगाया जाए, नवंबर में नाटो के हवाई हमले में 24 सैनिकों के मारे जाने पर अमेरिका बिना शर्त माफी मांगे और ड्रोन हमले रोके जाएं।
अमेरिकी दूत मुंटर ने खार को बताया था कि अमेरिका नाटो हमलों के लिए औपचारिक माफी मांगने का इच्छुक है, लेकिन कबीलाई इलाकों में अल कायदा और तालिबान उग्रवादियों के खिलाफ ड्रोन हमलों संबंधी नीति की समीक्षा किए जाने की संभावना से इनकार किया था। विदेश मंत्रालय द्वारा बीती रात जारी एक बयान में मुंटर के हवाले से कहा गया है कि अमेरिका पाकिस्तान की संसदीय प्रक्रिया का पूरा सम्मान करता है तथा आपसी सम्मान के आधार पर रिश्तों के पुन: पटरी पर लौटने का उसे इंतजार है।
ओबामा प्रशासन का मानना है कि सीआईए संचालित ड्रोन हमले अल कायदा और उसके सहयोगियों की अमेरिकी हितों को निशाना बनाने की क्षमता को ध्वस्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि इस नीति से पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर अमेरिका विरोधी भावनाएं फैली हैं और असैन्य नेतृत्व इसे अपने आतंकवाद विरोधी प्रयासों में बाधक मानता है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, March 23, 2012, 18:37