Last Updated: Wednesday, March 28, 2012, 14:59
बीजिंग : तिब्बतियों द्वारा स्वदेश ओर विदेश में आत्महत्या किए जाने पर काबू करने के लिए जूझ रहे चीन ने हिमालयी क्षेत्र में कम्युनिस्ट शासन के 53 साल पूरे होने पर आज तिब्बत की मुक्ति का जश्न मनाया।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हांग लेई से जब यहां मीडिया ब्रीफिंग में दलाई लामा से बातचीत बहाल करने के संबंध में चीन की निर्वासित सरकार की मांग पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, मैं आज इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि आज तिब्बत में हजारों लोगों की दासता से मुक्ति का दिन है।
चीन का दावा है कि उसने 1959 में तिब्बत को अंधकार युग से मुक्त कराया और उसके लोगों के लिए खुशहाली लाई। वहां लोगों धर्मतांत्रिक शासन के तहत मध्यकालीन दासता से मिलती-जुलती अवस्था में दासों की तरह रहते थे। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) की प्रांतीय राजधानी ल्हासा में आज के दिन जश्न मनाया गया।
इस अवसर पर टेलीविजन के जरिए दिए गए संदेश में टीएआर के अध्यक्ष पद्मा चोलिंग ने कहा कि दलाई लामा और तिब्बत की कथित निर्वासित सरकार द्वारा सामंती दासता को बहाल करने और चीन से स्वायत्त क्षेत्र को अलग करने का लगातार प्रयास कभी सफल नहीं होगा।
हांग लेई ने दिल्ली में कल एक तिब्बती द्वारा किए गए आत्मदाह समेत 30 से अधिक आत्महत्या की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा, जो लोग पुराने तिब्बत का प्रतिनिधित्व करते हैं वे सभी तरह के अतिवाद, हिंसक व्यवहार को प्रोत्साहन दे रहे हैं ताकि तिब्बत की जनता के शांतिपूर्ण जीवन को बाधित किया जा सके। उन्होंने कहा, उनके प्रयासों को जनता का समर्थन हासिल नहीं है और असफल रहेगा।
उन्होंने दलाई लामा के साथ बातचीत को बहाल करने के सवाल को दरकिनार करते हुए कहा, तिब्बत को सामाजिक स्थायित्व, एकता, सौहार्द की आवश्यकता है और हमारा मानना है तिब्बत का कल और बेहतर है। चीन ने दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ विगत में कई दौर की बातचीत की है लेकिन वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 28, 2012, 20:29