Last Updated: Monday, May 13, 2013, 20:15
बीजिंग : हाल में लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच उत्पन्न गतिरोध के ‘‘समुचित हल’’ को दोनों देशों के संबंधों को ‘‘परिपक्व रूप से संभालने’’ का सूचक बताते हुए चीन ने अपने नये प्रधानमंत्री ली क्विंग की भारत यात्रा की आज औपचारिक रूप से घोषणा कर दी। ली प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर रवाना होने वाले हैं और वह 19 मई को तीन दिन के भारत दौरे जायेंगे। इसके बाद ली कई अन्य देशों की यात्रा भी करेंगे।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लेई ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि ली की तीन दिवसीय भारत यात्रा 19 मई से शुरू होगी। वह इस दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य भारतीय नेताओं से मुलाकात करेंगे। 57 वर्षीय ली पाकिस्तान के लिए रवाना होने से पहले भारत की वित्तीय राजधानी मुम्बई भी जाएंगे।
चीनी अधिकारियों के मुताबिक ली ने मार्च में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को अपने पहले पड़ाव के रूप में चुना। ली भारत और पाकिस्तान के अलावा जर्मनी और स्विट्जरलैंड की यात्रा पर भी जाएंगे।
होंग ने कहा कि ली भारतीय नेताओं से अपनी बातचीत के दौरान उनके साथ चीन-भारत संबंधों पर, विशेष रूप से इस बारे में चर्चा करेंगे कि दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को कैसे आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि ली की इस भारत यात्रा से समान विकास और समृद्धि के लिए रणनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’ चीन ने अपने नये नेताओं की विदेश यात्राओं के लिए रूस और भारत को पहले गंतव्य के रूप में चुना है।
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मार्च में ब्रिक्स सम्मेलन के लिए जाने के दौरान रूस की यात्रा करने का फैसला किया। वहीं ली ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए सबसे पहले भारत जाने का कार्यक्रम बनाया ताकि भारत को यह संदेश दिया जा सके कि चीन का नया नेतृत्व उसके साथ मैत्री संबंध को आगे ले जाने को प्रतिबद्ध है।
हालांकि मित्रता का उनका यह संकेत चीनी सैनिकों द्वारा लद्दाख में अचानक की गई घुसपैठ ने फीका कर दिया। चीनी सैनिकों ने लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में घुसपैठ करके भारतीय क्षेत्र में अपने तंबू गाड़ दिये और वहीं डेरा जमाकर बैठ गए थे। दोनों देशों के बीच यह गतिरोध 20 दिन तक जारी रहा।
यह विवाद तब सुलझा जब भारत ने कथित रूप से चीन को यह चेतावनी दी कि इसका द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव होगा। दोनों पक्षों के क्षेत्र से एकसाथ हटने पर सहमत होने के बाद गतिरोध समाप्त हुआ था।
हालांकि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की गत सप्ताह चीन यात्रा के दौरान दोनों देश अपने संबंधों को सुधारने में सफल रहे। खुर्शीद ने इस दौरान ली, चीनी विदेश मंत्री वांगयि और स्टेट काउंसिलर एवं भारत चीन सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि यांग च्याची के साथ व्यापक बातचीत की।
पहली बार खुर्शीद की बातचीत पर चीन का दृष्टिकोण मुहैया कराते हुए होंग ने स्वीकार किया कि ‘‘दोनों पक्षों के बीच प्रासंगिक घटना पर चर्चा हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों का मानना है कि घटना का एक बार फिर समुचित हल यह दर्शाता है कि दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक हित का ख्याल है और वे घटना को उचित ढंग से सुलझाना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देश मानते हैं कि सीमा मुद्दे का हल लंबित रहने तक उन्हें सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाये रखनी चाहिए।’’ वांगयि ने खुर्शीद के साथ अपनी चर्चा के दौरान इस बात पर जोर दिया कि चीन और भारत प्राकृतिक सामरिक साझेदार हैं। उन्होंने खुर्शीद से कहा कि पुराने इतिहास वाले एशियाई देश होने के साथ ही दोनों विकासशील देश हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देश शांति के बारे में तटस्थ विदेश नीति की वकालत करते हैं।’’ होंग ने कहा कि चीनी मंत्री ने खुर्शीद से कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच सामरिक साझेधारी की काफी संभावनाएं हैं और उसे वैश्विक महत्व भी मिल रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों का मानना है कि उन्हें अपने संबंधों के ठोस विकास की गति हासिल करनी चाहिए और नेतृत्व के बीच आम सहमति को क्रियान्वित करके सामरिक साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहिए।’’
होंग ने कहा कि वार्ता के दौरान दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें द्विपक्षीय संबंधों में सद्भावपूर्ण प्रगति की गति बनाये रखनी चाहिए। इसके अलावा सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहिए तथा परस्पर राजनीतिक विश्वास, आर्थिक सहयोग और व्यापार भी बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बातचीत दोनों देशों के लोगों के बीच आदान प्रदान के साथ सहयोग, समन्वय, अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मामलों जैसे संयुक्त राष्ट्र एवं विकासशील देशों के हितों की संयुक्त रूप से रक्षा करने और उनके हितों को उच्च स्तर पर लाने पर केंद्रित रही।
इसके अलावा सरकारी ‘‘चाइना डेली’’ में आज प्रकाशित एक विस्तृत संपादकीय में कहा गया है कि गतिरोध का हल दोनों देशों के बीच ‘‘नये तरह के संबधों’’ की ओर संकेत करता है तथा उम्मीद थी कि खुर्शीद की यात्रा से ‘‘दोनों पक्षों के बीच और उच्चस्तरीय आदान प्रदान पर से बाधा हटेगी।’’ उसने कहा, ‘‘यह देखकर अच्छा लगा कि चीन और भारत ने खुर्शीद की यात्रा का इस्तेमाल बाहरी विश्व को यह सकारात्मक संकेत देने के लिए किया कि दोनों पड़ोसी देश एक नये तरह के संबंध बनाने को प्रतिबद्ध हैं और वे अपने मतभेदों को समुचित रूप से निपटने का इरादा रखते हैं।’’ (एजेंसी)
First Published: Monday, May 13, 2013, 18:45