Last Updated: Wednesday, May 1, 2013, 21:29

लाहौर/नई दिल्ली : लाहौर की कोटलखपत जेल में हुए हमले में गंभीर रूप से घायल भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह ‘‘नान रिवर्सिबल’’ कोमा में चला गया है। भारत ने आज जोर देकर पाकिस्तान से कहा कि वह बेहतर इलाज के लिए उसे रिहा कर दे। भारत ने इसके साथ ही कहा कि यह ‘‘कानूनी और नौकरशाही कारणों’’ को जताने का सही वक्त नहीं है। लाहौर में सरकारी सूत्रों ने बताया कि 49 वर्षीय सरबजीत की हालत जिस तरह से गिर रही है उससे वह ‘‘दिमागी रूप से मृत ’’ की हालत में जा सकता है। इसके साथ सूत्रों ने कहा कि वह ‘‘नॉन रिवर्सिबल’’ कोमा में चला गया है। यह वह स्थिति है जब रोगी ऐसे गहन कोमा की स्थिति में चला जाता है जहां से वापस आना नामुमकिन हो जाता है।
सूत्रों ने बताया कि किसी व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पहुंची क्षति और मस्तिष्क के चेतना स्तर का संकेतक बताने वाले ग्लासगो कोमा स्केल पर सरबजीत की हालत ‘‘नाजुक स्तर ’’ तक गिर गयी है।
एक सूत्र ने बताया कि सरबजीत का ‘‘दिल धड़क रहा है ’’ लेकिन ‘‘दिमाग काम नहीं कर रहा है’’ यह उसके दिमाग को शुक्रवार को हुए हमले में लगी गहरी सिर की चोट का नजीता है। सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला किया था। सरबजीत पूरी तरह बेहोशी की हालत में है और जीवन रक्षक उपकरणों के बिना सांस लेने में सक्षम नहीं है। पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त शरत सबरवाल ने आज पाकिस्तानी विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी से मुलाकात की और सरबजीत को तत्काल रिहा करने की मांग की।
दिल्ली में विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जिन्ना अस्पताल के चिकित्सकों की ओर से दी गई रिपोर्ट के बाद सरबजीत की हालत को लेकर हम चिंतित हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के विदेश सचिव से मुलाकात की और पाकिस्तान सरकार से उसे (सरबजीत सिंह को) मानवीय और सहानुभूति के आधार पर तत्काल रिहा करने का आग्रह किया ताकि वह भारत में बेहतरीन उपलब्ध इलाज का फायदा उठा सके।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भारत ने वैकल्पिक रूप से यह भी प्रस्ताव दिया है कि 49 वर्षीय सरबजीत को उचित इलाज के लिए किसी तीसरे देश में भेजा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी मानव जीवन को बचाने के उद्देश्य से सही कदम नहीं उठाने के लिए कानूनी और नौकरशाहाना कारणों को जताने का वक्त नहीं है। हम मानते हैं कि उसकी जिंदगी बचाने के लिए हर कोशिश की जानी चाहिए।’’ इससे पहले सूत्रों ने कहा था कि सरबजीत के उपचार की निगरानी कर रहा चिकित्सा बोर्ड उनके परिवार और पाकिस्तानी प्रशासन से सलाह मशविरा किए बिना उसे दिमागी रूप से मृत घोषित करने की स्थिति में नहीं है।
सूत्रों ने आगे बताया कि सरबजीत को उसके परिवार और पाकिस्तान सरकार की मंजूरी के बिना जीवनरक्षक उपकरणों से नहीं हटाया जा सकता। बीते सोमवार को सरबजीत को देखने के लिए लाहौर गयीं उनकी पत्नी सुखप्रीत कौर, बेटी पूनम तथा स्वप्नदीप कौर तथा बहन दलबीर कौर आज भारत लौट गयीं। सरकारी जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का उपचार कर रहे डाक्टरों ने कल कहा था कि उसकी हालत और बिगड़ गयी है, हालांकि उसे दिमागी रूप से मृत घोषित नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि सरबजीत के रक्तचाप को जीवनरक्षक उपकरणों की मदद से चलाया जा रहा है और उसके बचने की संभावना बेहद कम है।
सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के साथ ही उसे कई जगह चोटें लगी थीं। उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए।
सरबजीत को वर्ष 1990 में पंजाब प्रांत में हुए कई बम विस्फोटों में कथित रूप से उनकी संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया था। इस हमले में 14 लोग मारे गए थे। अदालतों तथा पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उसकी दया याचिकाओं को ठुकरा दिया था।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अगुवाई वाली पिछली सरकार ने वर्ष 2008 में सरबजीत की फांसी पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी थी। सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह गलत शिनाख्त का शिकार है और नशे की हालत में वह गलती से सीमा पार कर गया था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 1, 2013, 21:29