Last Updated: Tuesday, March 27, 2012, 13:59
सिओल : दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विश्व समुदाय को पूरी साफगोई से आगाह किया कि परमाणु आतंकवाद एवं गुप्त प्रसार तब तक बड़ा खतरा बना रहेगा जब तक आतंकवादी परमाणु सामग्री और प्रौद्योगिकी तक अपनी पहुंच बनाने की ताक में रहेंगे।
सिओल परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए मनमोहन ने कहा, ‘परमाणु आतंकवाद और परमाणु तकनीक का गुप्त प्रसार अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। भारत इस खतरे को लेकर बेहद सतर्क है।’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि परमाणु सुरक्षा की सबसे बेहतर गारंटी यही हो सकती है कि दुनिया ऐसे हथियारों से मुक्त हो।
मनमोहन ने कहा कि जनसंहारक हथियारों तक आतंकवादियों को पहुंच कायम करने से महरूम रखने के लिए भारत की ओर से लाया गया प्रस्ताव साल 2002 से ही एकमत से स्वीकार कर लिया गया था । सिंह ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव संख्या 1540 और इसकी समिति के कार्यों को अपना समर्थन दिया था। इस प्रस्ताव में सरकार से इतर तत्वों तक रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी एवं परमाणु हथियारों की पहुंच के खिलाफ कानूनी और विनियामक उपायों को अमली जामा पहनाने के प्रावधान हैं।
मनमोहन ने कहा ‘परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया का लक्ष्य हासिल करने के लिए विश्व को एक सहमतिपूर्ण बहुपक्षीय खाके में शामिल प्रतिबद्धताओं की जरूरत है जिसमें परमाणु हथियार संपन्न देश भी शामिल हों। इसके लिए सुरक्षा सिद्वांतों में परमाणु हथियारों के उभार को घटाकर परमाणु खतरे में कमी लाने और परमाणु हथियार पहले इस्तेमाल किए जाने पर अवरोधकों को बढ़ा देने के उपाय भी शामिल होने चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने चार महत्वपूर्ण परमाणु क्लबों में भारत की सदस्यता के दावे की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि इससे उसके परमाणु कार्यक्रम में उच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित होगा तथा उसकी निर्यात नियंत्रण प्रणाली को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘भारत कभी भी संवेदनशील प्रौद्योगिकी के प्रसार का स्रोत नहीं रहा है तथा हम उच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी निर्यात नियंत्रण प्रणाली को और मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत पहले ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ,एनएसजी तथा मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था के दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है।
मनमोहन ने कहा, ‘अपने जैसे अन्य देशों की तरह भारत भी वैश्विक अप्रसार लक्ष्यों को बढ़ावा देने की क्षमता तथा इच्छा रखता है और इसके लिये हमारा मानना है कि अगलाक कदम चार निर्यात नियंत्रित व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता है।’ भारत एनएसजी, एमटीसीआर, वासेनार एरेंजमेंट तथा आस्ट्रेलियाई ग्रुप की सदस्यता हासिल करने को लेकर गंभीर है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 27, 2012, 20:58