पाकिस्तान में चौराहे का नाम भगत सिंह ही रहेगा

पाकिस्तान में चौराहे का नाम भगत सिंह ही रहेगा

लाहौर: पाकिस्तान सरकार की एक समिति ने जमात-उद-दावा और जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरवादी समूहों के भारी विरोध के बावजूद लाहौर में एक चौराहे का नाम स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के ही नाम पर रखने का समर्थन किया है।
दो सप्ताह पहले लाहौर शहर की जिला सरकार ने कट्टरपंथियों और कुछ स्थानीय नागरिकों के विरोध के बाद शादमान चौक का नाम भगतसिंह के नाम पर रखे जाने पर रोक लगा दी थी।

इस मामले को दिलकश लाहौर नामक समिति को भेज दिया गया था। यह समिति लाहौर को फिर से खूबसूरत बनाने के लिए और चौराहों, सड़कों आदि के पाकिस्तान बनने से पूर्व के ऐतिहासिक महत्व का आकलन करने के बाद उनके नए नाम रखने के लिए बनाई गई है।

समिति ने आखिरकर सभी ऐतराजों को नकारते हुए अधिकारियों से इस चौक का नाम बिना किसी देरी के भगत सिंह चौक अधिसूचित करने के लिए कहा। जमात उद दावा के नेताओं और इस चौक के पास स्थित शादमान बाजार के व्यापारियों ने कल सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

जमात उद दावा के वरिष्ठ नेता आमिर हमज़ा और स्थानीय व्यापारियों की संस्था के अध्यक्ष ज़ाहिद बट्ट ने कहा कि वे इस चौक को हुरमत-ए-रसूल चौक कहकर पुकारेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस चौक का नाम भगत सिंह चौक रखे जाने का हर संभव विरोध करेंगे।

दिलकश लाहौर समिति के सदस्यों ने शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की चर्चा के दौरान इसका महत्व बताया था। यह वही जगह है जहां पर ब्रिटिशों ने इस स्वतंत्रता सेनानी को फांसी के फंदे पर चढ़ाया था।
भगत सिंह को मार्च 1931 में लाहौर जेल में फांसी दी गई थी। इसी जगह पर बाद में यह चौराहा बन गया।

प्रसिद्ध टेलीविजन प्रस्तोता और इस समिति के सदस्य इफ्तिखार अहमद ने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह ने भी 13 सितंबर 1947 को दिए गए अपने भाषण में भगत सिंह की तारीफ की थी।

इस समिति ने आगे लाहौर नहर पर बने उपमार्ग का नाम जोगिंदर लाल मंडल के नाम पर रखने की सिफारिश की। लाहौर की जिला सरकार ने सितंबर के आखिरी सप्ताह में यह घोषणा कर दी थी कि भगत सिंह की पुण्यतिथि पर इस चौक का नाम उनके नाम पर रख दिया जाएगा। लेकिन जमात उद दावा की ओर से कड़े शब्दों में जिला प्रशासन प्रमुख नूरूल अमीन मेंगल समेत अन्य सरकारी अधिकारियों को भेजे गए पत्र के बाद इस फैसले पर रोक लगा दी गई। इस पत्र में अधिकारियों को किसी जगह को हिंदू स्वतंत्रता सेनानी का नाम न देने की चेतावनी दी गई थी।

जमात उद दावा के नेता आमिर हमज़ा ने कहा कि हम स्थलों का नाम हिंदुओं, सिखों या ईसाईयों के नाम पर नहीं रखने देंगे। पाकिस्तान एक इस्लामिक राष्ट्र है और ऐसे विचारों का समर्थन नहीं किया जा सकता।

हालांकि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश और दिलकश समिति के सदस्य खलील-उर-रहमान रैमडे ने कहा कि इस्लाम और पाकिस्तानी संविधान ने हमेशा से सिख, हिंदुओं और ईसाईयों समेत सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान और उनकी रक्षा की है।

उन्होंने आगे कहा कि इसीलिए हम लाहौर में विभिन्न स्थानों, चौराहों, उपमार्गों आदि का दोबारा नाम रखते हुए विभिन्न प्रसिद्ध व्यक्तियों को ध्यान में रख रहे हैं। फिर चाहे वे मुसलिम हों या सिख, हिंदू हों या ईसाई। (एजेंसी)





First Published: Friday, November 16, 2012, 16:07

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