‘पाक अब भी है आतंकियों की शरणस्थली’ - Zee News हिंदी

‘पाक अब भी है आतंकियों की शरणस्थली’



वाशिंगटन : अमेरिकी सेना के प्रमुख जनरल मार्टिन डेंप्सी का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए लगातार शरणस्थली बना हुआ है और अफगानिस्तान में उसके प्रभाव से निपटने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने माना कि उनके देश के इस्लामाबाद के साथ संबंध मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं।

 

ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष डेंप्सी ने वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल में कहा, ‘पाकिस्तान, इन आतंकवादियों की शरणस्थली बना हुआ है। अफगानिस्तान में हमारे अभियान में उसके प्रभाव को खत्म करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी।’ अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों के ‘तनावपूर्ण’ होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कुछ धर्य रखकर हम क्या करने की कोशिश कर रहे हैं, हम उनसे थोड़ा धीरज रखने को कह रहे हैं और फिर हम वापस जाने तथा एक दूसरे से संपर्क बनाने एवं यह देखने कि कोशिश करेंगे कि क्या हम साथ काम कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल यह मुश्किल है।’

 

अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध 26 नवंबर को नाटो के हमले में 26 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। इस घटना के बाद पाकिस्तान ने नाटो के सभी आपूर्ति मार्गों को बंद कर दिया और अमेरिका से बलूचिस्तान के शम्सी हवाई अड्डे को खाली करने कहा। दूसरी ओर विदेश विभाग ने अमेरिका-पाकिस्तान के संबंधों को जटिल लेकिन दोनों देशों के लिए जरूरी बताया।

 

विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने एक संवाददाता सम्मेलन में कल कहा, ‘संबंध जटिल हो गए हैं। लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान दोनों के लिए ही यह जरूरी हैं। हम संपर्क मार्गों को खुला रखने और फिर साथ काम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान के अपने समकक्षों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं, हालिया बैठक पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत कैमरान मुंटर और वहां की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के बीच हो रही है।

 

विक्टोरिया ने कहा कि हम राजदूत मुंटर और विदेश मंत्री खार के बीच हाल की बैठक सहित अन्य माध्यमों से काम जारी रखने पर जोर दे रहे हैं। बेशक हम फिर से एक साथ काम करना शुरु करने की कोशिश कर रहे हैं।

 

नाटो के 26 नवंबर के हवाई हमले में सैनिकों की मौत के बाद पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अश्फाक परवेज कयानी से संपर्क में रहने वाले डेंप्सी ने कहा कि घटना के तथ्यों का पता लगाने के लिए उन्होंने अमेरिकी केंद्रीय कमान की अगवानी में जांच को बढ़ावा दिया।

 

डेंप्सी ने कहा कि नाटो के आपूर्ति मार्गों को बंद करने के पाकिस्तानी फैसले का उसके अमेरिका के साथ संबंधों पर काफी बुरा असर पड़ा है और उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका वैकल्पिक रास्तों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम पाकिस्तानी संपर्क मार्गों पर अपनी निर्भरता के प्रतिशत को कम कर सकते हैं। हम व्यवस्था कर सकते हैं और इसे पा सकते हैं। यह बहुत ही महंगा होगा। इसमें समय लगेगा लेकिन इसे करने के लिए हमारे पास समय है।’ पाकिस्तानी सेना ने नाटो पर जानबूझ कर हमला करने का आरोप लगाते हुए अमेरिकी जांच में भागीदार बनने से इंकार कर दिया।  (एजेंसी)

First Published: Saturday, December 10, 2011, 15:05

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