`पाक खुफिया एजेंसियों की भूमिका की जांच हो`

`पाक खुफिया एजेंसियों की भूमिका की जांच हो`

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के एक पूर्व सैनिक ने देश के सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी है कि मिलिट्री इंटेलिजेंस और इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस जैसी एजेंसियों की भूमिका के पुनर्मूल्यांकन के लिए एक संसदीय समिति गठित करने का निर्देश दिया जाए। इस पूर्व सैनिक को कथित तौर पर सुरक्षा एजेंसियों ने हिरासत में लेकर प्रताड़ित किया था।

नायक मुहम्मद इकबाल ने अपने वकील इनामुल रहीम के जरिए दाखिल याचिका में कहा कि संसदीय समिति द्वारा पुनर्मूल्यांकन किए जाने से युवा सैनिकों को पंगु बनाए जाने पर रोक लगेगी और देश के विभिन्न हिस्सों में क्षतविक्षत शव मिलने के चलन पर भी रोक लग सकेगी।

खुफिया एजेंसियों ने इकबाल को 27 नवंबर 2004 को हिरासत में लिया था। उस समय उसकी बटालियन पाक अधिकृत कश्मीर में लीपा सीमा चौकी पर तैनात थी। डॉन समाचार पत्र ने रहीम के हवाले से कहा कि इकबाल को कभी भी उसके खिलाफ लगे आरोपों के बारे में नहीं बताया गया।

इकबाल ने दावा किया कि उसे हिरासत में लिए जाने के मामले को इतना गोपनीय रखा गया कि उसके परिवार तक को इसकी जानकारी नहीं दी गयी। इकबाल ने कहा कि उसे 2008 में आधी रात को उसके घर के सामने फेंक दिया गया था। उस समय उसकी स्थिति काफी खराब थी और उसके आंखों की रोशनी लगभग खत्म हो चुकी थी। इकबाल के अनुसार इस दौरान उसे काफी प्रताड़ित किया गया और उसका इलाज तक नहीं कराया गया। इसके साथ ही उसने यह दलील भी दी है कि वह पूरा वेतन और अन्य भत्तों का हकदार है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका के कारण उसे इससे वंचित कर दिया गया है। उसने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, June 11, 2013, 14:18

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