पाक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए 136 अरब का कर्ज देगा चीन

पाक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए 136 अरब का कर्ज देगा चीन

पाक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए 136 अरब का कर्ज देगा चीनज़ी न्यूज़ ब्यूरो
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के दो परमाणु संयंत्रों के निर्माण के लिए चीन उसे 136 अरब रुपए का कर्ज मुहैया कराएगा। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान पंजाब प्रांत के चाश्मा परमाणु परिसर में चीन के सहयोग से दो परमाणु संयंत्रों का निर्माण कर रहा है जिसमें प्रत्येक बिजली संयंत्र की क्षमता 340 मेगावाट है। रिपोर्ट के अनुसार, इन बिजली संयंत्रों का निर्माण लंबे समय से चले आ रहे समझौते के बाद संभव हो पाया है।

सूत्रों का कहना है कि हालांकि दोनों संयंत्रों की कुल लागत कुल 190 अरब रुपए जिसमें से 136 अरब चीन उसे कर्ज के तौर पर उपलब्ध कराएगा। पाकिस्तान एटॉमिक इनर्जी कमीशन ने चाश्मा के सी-3 और सी-4 परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए 34.6 अरब की राशि आवंटित की है।

सूत्रों ने बताया कि चाश्मा प्रोजेक्ट पर सरकार ने 62.4 अरब रुपए के अलावा 34.6 अरब रुपए का अतिरिक्त खर्चा किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों नए बिजली संयंत्र का आधा काम जून 2013 तक पूरा कर लिया जाएगा। वर्ष 2016 तक दोनों संयंत्रों का काम पूरा कर लिया जाएगा। तीन संयंत्र पहले से ही काम कर रहे हैं। पाकिस्तान एटॉमिक इनर्जी कमीशन (पीएइसी) की योजना के मुताबिक वर्ष 2030 तक इन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से 8800 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में एक अधिकारी के अनुसार, सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और अनुसंधान केन्द्रों से संबंधित संगठनों के प्रमुखों के साथ तालमेल बनाकर एक `ऊर्जा परिषद` बनाने का प्रयास कर रही है। ऊर्जा परिषद अनुसंधान और विकास के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर और संसाधनों के प्रबंधन पर अधिकारियों को सलाह देगी।

मालूम हो कि चीन की दो कंपनियों ने पाकिस्तान के चाश्मा परमाणु परिसर में दो परमाणु रिएक्टरों के निर्माण में सहयोग के लिए 8 जून 2009 को चुपचाप एक समझौते पर हस्ताक्षर किए चीन न्यूक्लियर इंडस्ट्री फिफ्थ कंस्ट्रक्शन कंपनी की वेबसाइट पर की गई घोषणा के अनुसार विदेशी परमाणु परियोजनाओं में महारत प्राप्त इस कंपनी और सीएनएनसी चाइना झोंगयुआन इंजीनियरिंग कार्पोरेशन चाश्मा परिसर में कनुप-3 और कनुप-4 संयंत्र के लिए मिलकर काम करने पर राजी हुई थी।

तब पाकिस्तान के सरकारी अधिकारियों ने कहा था कि इस समझौते में कुछ भी नया नहीं है और यह चीन की ओर से पाकिस्तान को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए पहले से जारी सहयोग का ही एक हिस्सा है। इस समझौते से भारत और अमरीका की चिंताएं बढ़ गई हैं। परमाणु आपूर्ति समूह भी इस प्रस्तावित परमाणु समझौते पर चिंतित है।

First Published: Friday, February 22, 2013, 23:47

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