Last Updated: Sunday, January 22, 2012, 18:35
लंदन : एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में देश की सैन्य खुफिया शाखा आईएसआई और आतंकवादी समूह नरमपंथी आवाजों को खामोश कर रही है। ‘द संडे टाइम्स’ ने कहा कि गत मंगलवार को पाकिस्तानी तालिबान द्वारा रेडियो पत्रकार मुकर्रम खान आतिफ की की गई हत्या अपनी बर्बरता और निर्लज्जता के मामले में स्तब्धकारी है।
आतिफ गत मंगलवार को सूर्यास्त के बाद पेशावर के निकट मस्जिद में प्रार्थना कर रहा था जब दो बंदूकधारी पहुंचे और उसे बाहर खींचा और गोली मार दी। यह हत्या की सबसे ताजा घटना है। अनेक लोग इसे देश में सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच बढ़ते संकट के बीच आईएसआई और आतंकवादी समूह द्वारा नरमपंथी आवाजों को बंद करने के अभियान के तौर पर देख रहे हैं।
एमके के नाम से प्रसिद्ध आतिफ को आतंकवादियों की ओर से जान से मारने की धमकी मिल रही थी। आतिफ के साथी बाबर बेग ने बताया कि आतंकवादियों को उसकी रिपोर्टिंग पसंद नहीं आ रही थी और वे उसके रेडियो कार्यक्रम में जगह देने की मांग कर रहे थे लेकिन वह बेहद साहसी और सक्रिय था।
न्यूयॉर्क स्थित प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स कमेटी के एशिया निदेशक बॉब डाइट्ज ने कहा, हम निश्चित तौर पर लोगों की आवाज को खामोश करने के सुविचारित प्रयास के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने कहा, अनेक पाकिस्तानी पत्रकारों ने शरण की मांग की है और हमसे चाहते हैं कि हम फेलोशिप की व्यवस्था करें। ईमानदारी से कहें तो हम इससे अभिभूत हैं।
रिपोर्ट के अनुसार विगत दो वर्षों में पाकिस्तान न सिर्फ पत्रकारों के लिए खतरनाक देश रहा है बल्कि पिछले साल पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर और एक मंत्री शहबाज भट्टी की भी हत्या कर दी गई थी। तासीर का पुत्र पिछले साल अगस्त में अपहृत किए जाने के बाद से लापता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी प्रधानमंत्री के आवास में छिप रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी जान खतरे में है। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 23, 2012, 00:06