Last Updated: Wednesday, November 28, 2012, 19:35

लाहौर : पाकिस्तान की एक अदालत ने लाहौर के ऐतिहासिक गोल चक्कर का नाम शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर रखने के कदम के स्थगन को और तीन सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है। लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नसीर सईद शेख ने शादमान पर फव्वारा चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के कदम को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब सरकार और लाहौर जिला प्रशासन की ओर से प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर स्थगन तीन सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।
जमात-उद-दावा से जुड़े तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल ने गोल चक्कर का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के कदम का विरोध करते हुए याचिका दायर की है। संगठन की ओर से यह याचिका दायर करने वाले स्थानीय व्यापारी जाहिद बट्ट का दावा है कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने इस मुद्दे को उठाने के लिए भगत सिंह फाउंडेशन को धन दिया है।
उसका दावा है कि फाउंडेशन ने दिलकश लाहौर समिति के साथ लॉबिंग की है। इसी समिति ने गोल चक्कर का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की सिफारिश की है। जमात-उद-दावा के नेता और तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल के प्रमुख मौलाना अमीर हम्जा का कहना है कि उनका संगठन किसी भी स्थान का नाम हिन्दुओं, सिखों या ईसाइयों के नाम पर रखने को मंजूरी नहीं देगा । उन्होंने हाल ही में कहा था, पाकिस्तान एक इस्लामी देश है और ऐसे विचारों की सराहना नहीं की जा सकती है।
जमात-उद-दावा ने जिला प्रशासन प्रमुख नूरूल अमीन मेंगल और अन्य सरकारी अधिकारियों को कठोर शब्दों का उपयोग करते हुए लिखे पत्र में उन्हें गोल चक्कर का नाम एक हिन्दू स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखने के खिलाफ चेतावनी दी थी। दिलकश लाहौर समिति ने इस मामले में सभी आपत्तियों को नामंजूर करते हुए प्राधिकारों से कहा है कि वह बिना देरी किए गोल चक्कर का नया नाम रखे।
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान की एक अदालत में दो याचिकाएं दायर करके उससे स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर लाहौर के एक गोल चक्कर का नाम रखे जाने को चुनौती देने के मामले में उन्हें भी पक्षकार बनाने के लिए कहा है।
कार्यकर्ता तैमूर रहमान और सईदा दीप ने कल वकील यासिर लतीफ हमदानी के जरिये लाहौर उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं। दोनों ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता तहरीक ए हुरमत ए रसूल ने यह गलत छवि बनाई है कि फव्वारा चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखना ‘पाकिस्तान के खिलाफ साजिश’ है। उच्च न्यायालय के पंजीयक कार्यालय ने याचिकाओं पर आपत्ति जताई।
याचिकाओं में कहा गया कि इस गोल चक्कर का नाम भगत सिंह के नाम पर रखना ‘देशभक्ति का बड़ा कदम’ है। इसमें कहा गया कि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है जहां हर कोई पैगंबर मोहम्मद का सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल इस मामले में पक्षकार नहीं हैं क्योंकि भगत सिंह को इस्लाम या पैगंबर के प्रति वैमनस्य के लिए नहीं जाना जाता है।
याचिकाओं में कहा गया कि भगत सिंह गैर सांप्रदायिक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने मुस्लिमों सहित सभी लोगों की आजादी के लिए काम किया। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि इस कदम का विरोध करने वाले तहरीक-ए-हुरमत-ए-रसूल ने इससे पहले इसका नाम चौधरी रहमत अली के नाम पर रखने का समर्थन किया था जबकि अली ऐसे लेखक थे जिन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना पर हमला किया था।
उन्होंने कहा कि यह सही है कि पाकिस्तान नाम अली ने सुझाया था लेकिन यह सभी जानते हैं कि उन्होंने वर्ष 1947 में देश के गठन के बाद ही उससे सारे रिश्ते तोड़ लिए थे और उसके बाद वह हमेशा ब्रिटेन में रहे और जिन्ना तथ मुस्लिम लीग के खिलाफ लिखा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 28, 2012, 19:35