'प्रणब मुखर्जी से डर गया था पाकिस्तान' - Zee News हिंदी

'प्रणब मुखर्जी से डर गया था पाकिस्तान'

वॉशिंगटन : मुंबई में 26 नवंबर को हुए हमलों के बाद तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणबमुखर्जी के कड़े शब्दों से पाकिस्तान इतना घबरा गया था कि उसने चीन से लेकर अमेरिका तक को कह दिया कि भारत ने युद्ध का फैसला कर लिया है।

 

तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस के मुताबिक इस्लामाबाद ने व्हाइट हाउस को सूचित किया कि भारत ने उन्हें युद्ध का फैसला करने के लिए चेताया है। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति के एक सहायक ने चिंतित हो कर राइस को इसकी सूचना दी और राइस भी परेशान हो गईं तथा उनके मुंह से निकला ‘क्या .. ?’

 

कुल 766 पृष्ठों की किताब में राइस ने लिखा है ‘यह तो भारत ने मुझसे नहीं कहा। दो दिन में भारतीयों से मेरी कई बार बातचीत हुई जिसमें उन्होंने तनाव कम करने की इच्छा जताई और यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि पाकिस्तान ऐसा कुछ करे जिससे पता चले कि वह आतंकवादियों की धरपकड़ की जिम्मेदारी स्वीकार करता है।’

 

मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान की चिंता के कारण का खुलासा करते हुए राइस ने लिखा है कि इसकी वजह तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी के कड़े शब्द थे जो उन्होंने फोन पर बातचीत के दौरान अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी से कहे थे। राइस ने अपनी नवीनतम किताब ‘नो हाई ऑनर्स’’ में लिखा है कि पाकिस्तान की ओर से आ रही अफवाहों के फलस्वरूप तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने राइस से स्थिति को सामान्य करने के लिए इस्लामाबाद और नयी दिल्ली का दौरा करने को कहा था।

 

परेशान राइस ने सोचा कि नयी दिल्ली युद्ध की तैयारी कर रही है और इसीलिए मुखर्जी उनसे बात करने से बच रहे हैं। राइस ने लिखा है ‘मैंने फिर फोन किया पर कोई जवाब नहीं मिला। अब तक खबर फैल चुकी थी और अंतरराष्ट्रीय फोन लाइनें घनघनाने लगी थीं। पाकिस्तानी सबसे संपर्क कर रहे थे। सउदी अरब, अमीरात, चीन  सबसे। आखिरकार मुखर्जी ने फोन किया और मैंने उन्हें वह सब बताया जो मैंने सुना था।’

 

उन्होंने कहा ‘मेरे पास कोई चारा नहीं है लेकिन हम युद्ध करने नहीं जा रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा ‘मैं समझता हूं कि यह खतरनाक है।’ मुंबई हमलों के बाद नयी दिल्ली की आपात यात्रा पर राइस ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विदेश मंत्री दोनों ने उनसे दो टूक शब्दों में कहा कि जनता के बढ़ते दबाव के बावजूद वह युद्ध के खिलाफ हैं लेकिन वह चाहते हैं कि पाकिस्तान कुछ करे।

 

राइस के अनुसार, जब वह इस्लामाबाद गयीं तो पूरी दुनिया को मालूम होने के बावजूद पाकिस्तानी नेतृत्व ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया कि हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे।

 

राइस ने लिखा है कि पाकिस्तानी एक बार डर गये थे और भारतीय दावों को एक ही झटके में सिरे से खारिज कर दिया। राष्ट्रपति जरदारी ने जोर देकर कहा कि वह युद्ध से बचना चाहते हैं लेकिन वह यह जाहिर नहीं करना चाहते थे कि इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका की उन्हें जानकारी थी।’

 

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने उन्हें बताया कि हमले करने वाले आंतकवादियों का उनके देश से कोई लेना देना नहीं था।

 

राइस ने किताब में लिखा है कि मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, या तो आप मुझसे झूठ बोल रहे हैं या आपके लोग आपको गलत सूचना दे रहे हैं। मैं उनको बताती रही कि हम अमेरिका  हमले के स्रोत के बारे में क्या क्या जानकारी रखते हैं।’

 

राइस ने कहा, ‘मैंने पाक सरकार पर हमले में संलिप्त होने का आरोप नहीं लगाया। पर हो सकता है कि सुरक्षा एजेंसियों में मौजूद कुछ तत्वों के कारण आतंकवादियों को सहायता मिली हो। यह इसकी गंभीरता से जांच करने का समय था।’

 

उन्होंने लिखा है ‘इसके बाद मैं सेना प्रमुख परवेज कयानी से मिलने गई। हमारी सेना उन्हें एक ईमानदार और प्रभावशाली व्यक्ति मानती थी। वह जानते थे कि भले ही पाक हमले की जिम्मेदारी न ले पर जो कुछ भी हुआ है उसकी विस्तृत जानकारी तो पाकिस्तान को देनी ही होगी। यही शुरूआत थी।’

 

मुंबई हमले पर एक अलग अध्याय में राइस ने लिखा है कि उनके पास इस दौरान नयी दिल्ली और इस्लामाबाद में मौजूद अमेरिकी राजदूतों से फोन आते रहे।

 

राइस ने लिखा है ‘राजदूत डेविड मलफोर्ड का संदेश बहुत कठोर था। उन्होंने कहा था कि यहां युद्ध का माहौल है। सबको पता है कि आतंकवादी पाकिस्तान से आये थे।’ (एजेंसी)

First Published: Friday, October 28, 2011, 16:12

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