‘प्रस्ताव पर श्रीलंका के साथ मिलकर काम करे US’

‘प्रस्ताव पर श्रीलंका के साथ मिलकर काम करे US’

‘प्रस्ताव पर श्रीलंका के साथ मिलकर काम करे US’वाशिंगटन : जनता पार्टी के प्रमुख सुब्रमण्यम स्वामी ने ओबमा प्रशासन से जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में पेश किए जाने वाले ‘श्रीलंका में कथित मानवाधिकार उल्लंघन’ मसौदे पर सर्वसम्मति बनाने के लिए कोलंबो के साथ द्विपक्षीय बातचीत करने का आह्वान किया है।

दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री राबर्ट ब्लेक से भेंट करने वाले सुब्रमण्यम ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के मौजूदा सत्र में प्रस्ताव पेश करने के अमेरिकी कदम पर अपनी राय रखी।

अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों के साथ अपनी एक घंटे की भेंट के उन्होंने इस बात को लेकर अमेरिका को सावधान किया कि इस प्रस्ताव को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के समर्थक विभाजनकारी ताकतों की जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि इससे लिट्टे फिर सिर उठा सकता है और यह किसी के हित में नहीं है। सुब्रमण्यम ने साथ ही स्पष्ट कर दिया कि यह उनकी निजी राय है।

अमेरिकी अधिाकारियों के साथ अपनी भेंट पर संतोष प्रकट करते हुए स्वामी ने कहा कि कथित मानवाधिकार उल्लंघन की कोई भी जांच श्रीलंका की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार द्वारा न कि अंतरराष्ट्रीय रूप से नियुक्त किसी अन्य निकाय द्वारा की जानी चाहिए।

स्वामी ने कहा, ‘क्योंकि लोकतांत्रिक देश होने के नाते श्रीलंका की स्थिति बोस्निया और जायरे से बिल्कुल भिन्न है।’ भेंट के बाद उन्होंने कहा, ‘किसी भी परिस्थिति में प्रस्ताव में इस बात का संकेत नहीं है कि (श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा) राजपक्षे एवं अन्य युद्धअपराध के दोषी हैं। जो कुछ भी किया जाना है वह श्रीलंका सरकार न कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा किया जाना है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मांग निश्चित रूप से लिट्टे के समर्थकों की ओर से आयी है।’

स्वामी ने अमेरिकी अधिकारियों से कहा कि अंतरराष्ट्रीय रूप से नियुक्त ‘बाहरी’ जांच के गठन की कोई संभावना नहीं है क्योंकि रूस और चीन इस कदम के खिलाफ वीटो कर देंगे।

उन्होंने कहा, ‘इस तरह श्रीलंका को अस्वीकार्य प्रस्ताव कभी भी संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क में थोपा जा सकता।’ अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत के आधार पर स्वामी ने कहा कि शायद ही अमेरिकी प्रस्ताव श्रीलंका पर अपनी शर्त थोपे या अंतराष्ट्रीय एजेंसी की मांग करे।

उन्होंने कहा, ‘यह लिट्टे समर्थक शक्तियों के लिए झटका होगा। सुलह एवं शक्तियों के विकेंद्रीकरण पर ज्यादा बल दिया जाएगा।’ (एजेंसी)

First Published: Friday, March 8, 2013, 16:53

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