बांग्लादेश: जमात-ए-इस्लामी नेता को मृत्युदंड

बांग्लादेश: जमात-ए-इस्लामी नेता को मृत्युदंड

ढाका : बांग्लादेश के कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के एक शीर्ष नेता को वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति संग्राम के दौरान ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के मामलों में गुरुवार को मौत की सजा सुनाई गई। सजा के बाद भड़की हिंसा में अभी तक चार लोगों की मौत हुई है।

जमात-ए-इस्लामी की ओर से आहूत राष्ट्रव्यापी बंद के बीच एक विशेष बांग्लादेशी पंचाट ने पार्टी उपाध्यक्ष दिलवर हुसैन सैयदी को सजा-ए-मौत दी।

तीन न्यायाधीशों वाले अंतरराष्ट्रीय अपराध पंचाट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एटीएम फैजल कबीर ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘उन्हें (दिलवर हुसैन सैयदी) उनकी मौत तक फांसी से लटकाया जाए।’ युद्ध अपराधों के संदिग्धों के खिलाफ तीन साल पहले सुनवाई शुरू होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय अपराध पंचाट द्वारा दोषी ठहराए गए यह जमात-ए-इस्लामी के तीसरे नेता हैं। इस मामले के ज्यादातर संदिग्ध इस्लामी संगठन के सदस्य हैं।

जनवरी में आए पंचाट के पहले फैसले में जमात-ए-इस्लामी के पूर्व नेता अबुल कलाम आजाद को भी इन्हीं आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई थी। जमात-ए-इस्लामी के एक अन्य नेता अब्दुल कादर मुल्ला को फरवरी में युद्ध के दौरान किए गए अपराधों के लिए उम्र कैद की सजा दी गई।

120 पृष्ठ के फैसले में कहा गया कि पंचाट ने इस्लामी नेता के खिलाफ लगे 20 में से आठ आरोपों को सही पाया जिनमें नरसंहार, आगजनी, लूटपाट और गैरमुस्लिमों को जबरन मुस्लिम बनाने के आरोप शामिल हैं इनमें से दो आरोपों के सही पाए जाने के कारण उन्हें मौत की सजा दी गई है।

इस फैसले के दौरान राजधानी ढाका और अन्य बड़े शहरों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। जमात-ए-इस्लामी ने आज राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है। उधर, हजारों युवाओं ने युद्ध अपराधियों को मृत्युदंड की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।

बीडी न्यूज’ की खबर के अनुसार, उत्तरी बांग्लादेश के मीठापुकुर के रंगपुर में पुलिस और इस्मामियों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई है। दिनाजपुर के चिरिरबंदर उपजिला में फैसले के बाद बार्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी के छात्र संगठन ‘छात्र शिबिर’ के एक कार्यकर्ताओं पर गोलियां चलायीं जिसमें एक कार्यकर्ता की मौत हो गई।

जमात-ए-इस्लामी के नायब-ए-अमीर सैयदी को 29 जून 2010 को गिरफ्तार किया था और उन्हें तीन अक्तूबर को लूटपाट, हत्या, आगजनी, बलात्कार और गैरमुस्लिमों को जबरन मुस्लिम बनाने सहित 20 आरोपों में अभ्यारोपित किया गया था।

सुनवाई के दौरान कुल 27 गवाहों ने उनके खिलाफ गवाही दी जबकि सैयदी के बचाव में 17 लोगों ने बयान दिया। अधिकारियों ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और अपराध रोधी रैपिड एक्शन बटालियन की मदद के लिए अर्धसैनिक बीजीबी को बुलाया।

चश्मदीदों ने कहा कि जमात कार्यकर्ताओं ने सड़क पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और राजधानी के विभिन्न भागों में प्रदर्शन किया और देसी बम से विस्फोट किए। पुलिस ने उनका पीछ करते हुए रबर की गोलियां चलाईं, आंसू गैस के गोले छोड़े और कई को मौके से हिरासत में लिया गया। (एजेंसी)

First Published: Thursday, February 28, 2013, 18:57

comments powered by Disqus