Last Updated: Saturday, September 15, 2012, 17:27

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के बदनाम परमाणु वैज्ञानिक ए.क्यू. खान ने दावा किया है कि उन्होंने दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के आदेश पर दो देशों को परमाणु प्रौद्योगिकी दी थी।
खान ने जंग मीडिया ग्रुप के साथ साक्षात्कार में कहा, तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहतरमा बेनजीर भुट्टो ने मुझे बुलाया और उन दो देशों के नाम बताए जिनकी मदद की जानी थी। उन्होंने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किया। परमाणु वैज्ञानिक ने हालांकि दोनों देशों के नामों का खुलासा नहीं किया है।
उन्होंने दावा किया है कि उनके सामने भुट्टो के आदेश को मानने के सिवा कोई विकल्प नहीं था।
उन्होंने कहा, मैं स्वतंत्र नहीं था और मैं प्रधानमंत्री के आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य था। अतएव मैंने उनके आदेश का पालन करते हुए यह कदम उठाया।
खान ने कहा, प्रधानमंत्री ने जिन देशों के नाम लिए, निश्चित ही उन्हें अपने राष्ट्रीय हित में उन दोनों की भूमिका और सहयोग के बारे में मालूम रहा होगा।
भुट्टो की वर्ष 2007 के आखिर में एक आत्मघाती बम हमले में मौत हो गई थी।
खान ने कहा कि परमाणु तकनीक का स्थानांतरण आसान नहीं था और कम से कम 800 लोगों की उस पर नजर थी। वर्ष 2004 में उन्होंने स्वीकार किया था कि उनका गोपनीय परमाणु तस्कर गिरोह था जिसके बाद उन्हें नजरबंर कर दिया गया था। लीबिया और उत्तर कोरिया को परमाणु प्रौद्योगिकी और ज्ञान दिया गया था।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अगुवाई वाली वर्तमान सरकार ने पिछले कुछ सालों से उनपर प्रतिबंध ढ़ीले कर दिए हैं।
खान बाद में अपने बयान से मुकर गए थे कि उन्हें टीवी पर यह कहने के लिए बाध्य किया गया था कि वह परमाणु तस्करी नेटवर्क चलाते थे।
खान ने कहा कि 1998 के परमाणु विस्फोट के श्रेय का दावा करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ वाकई में इस परीक्षण के लिए तैयार नहीं थे और वह इस डर से विस्फोट नहीं चाहते थे कि इससे अमेरिका नाराज हो सकता है और उनकी सरकार खतरे में पड़ सकती है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, September 15, 2012, 17:27