Last Updated: Friday, February 10, 2012, 15:31
वाशिंगटन : अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों का कामकाजी वीजा देने से इनकार के मामले में पिछले चार साल में वृद्धि हुई है। इससे किसी भी अन्य देश के मुकाबले भारत में जन्में पेशेवर सर्वाधिक प्रभावित हैं। अमेरिकी शोध संस्थान नेशनल फाउंडेशन फार अमेरिकन पालिसी (एनएफएपी) की रिपोर्ट के मुताबिक ‘यूएस सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज’ (यूएससीआईएस) से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चला है कि एजेंसी द्वारा 2008 से एल-1 तथा एच-1बी वीजा के लिए आवेदन खारिज करने की संख्या बढ़ी है। इससे अमेरिकी नियोक्ताओं की प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ रहा है तथा कंपनियां रोजगार तथा संसाधन देश के बाहर रख रही हैं।
‘डेटा रीविल हाई डिनायल रेट्स फार एल-1 तथा एच-1 पेटीशंस एट यूएससीआईएस’ शीषर्क से जारी रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि जिन लोगों के वीजा आवेदन को खरिज किया गया है, उनमें भारत में जन्में पेशेवर तथा शोधकर्ता अधिक हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जन्में पेशेवरों के नए एल-1बी वीजा के लिए आवेदन खारिज करने का प्रतिशत वित्त वर्ष 2008 में 2.8 प्रतिशत था जो वित्त वर्ष 2009 में बढ़कर 22.5 प्रतिशत हो गया। इसके कारण कई नियोक्ता अपने कर्मचारियों को शोध परियोजनाओं या ग्राहकों को सेवा देने के काम पर अमेरिका भेजने में असफल रहे।
आव्रजन अधिकारियों ने भारतीय वित्त वर्ष 2009 में भारतीय पेशेवरों के एल-1बी वीजा के लिए 1640 आवेदन ठुकराए जो इससे पूर्व नौ वित्त वर्ष में संयुक्त रूप से ठुकराए गए 1,341 आवेदनों के मुकाबले कहीं अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक 2007 में जहां एच-1बी वीजा के लिए दिए गए आवेदनों में 11 प्रतिशत खारिज किए गए थे, वहीं 2009 में बढ़कर यह 29 प्रतिशत हो गया। 2010 में यह 21 प्रतशत तथा 2011 में 17 प्रतिशत था।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 10, 2012, 21:01