Last Updated: Wednesday, June 5, 2013, 17:45
मेलबर्न : समुद्री सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता को एशिया प्रशांत और हिंद महासागरीय क्षेत्रों के विकास एवं समृद्धि के लिए जरूरी मानते हुए भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आज आपसी रक्षा संबंधों को आधार देने का फैसला किया। दोनों देशों का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब समुद्रों में चीन के हाव-भावों ने चिंताएं पैदा कर रखी हैं।
अपनी ऐतिहासिक ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कैनबरा में अपने समकक्ष स्टीफन स्मिथ से मुलाकात की। वहां उन्होंनं समुद्री सुरक्षा और रक्षा संबंधों समेत साझे रणनीतिक व सुरक्षा हितों पर बात की।
वार्ता के बाद ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विचारों के साथ-साथ रक्षा सहयोग और दोनों पक्षों के बीच आदान-प्रदान से जुड़े विचारों पर चर्चा की। एंटनी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाने वाले पहले भारतीय रक्षा मंत्री हैं। एंटनी ने कल पर्थ में स्मिथ से मुलाकात की। दोनों ने वार्ता के लिए साथ में कैनबरा की उड़ान भरी।
संयुक्त बयान में कहा गया, दोनों पक्षों ने माना कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप समुद्री सुरक्षा और नौपरिवहन में स्वतंत्रता एशिया प्रशांत और हिंद महासागरीय क्षेत्रों के विकास व समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों देश अपनी नौसेनाओं के बीच विश्वास बनाने और मेलजोल बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय समुद्री सहयोग जारी रखने और वर्ष 2015 में द्विपक्षीय समुद्री अ5यास के लिए काम करने को राजी हो गए। यह संयुक्त बयान ऐसे समय में आया है जब दक्षिण चीनी सागर और पूर्वी चीनी सागर में चीन अपने बलप्रदर्शन में जुटा है।
पिछले कुछ समय में चीन ने अपने समुद्री जहाजों और विमानों का इस्तेमाल जापान समेत उन पड़ोसियों को डराने के लिए किया था, जिनके साथ समुद्री अधिकारों को लेकर बीजिंग का विवाद है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन ने पनडुब्ब्यिों और युद्धक जहाजों के साथ अपने समुद्री बलों की उपस्थिति में भी वृद्धि की है।
विज्ञप्ति में कहा गया, रक्षा मंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच रणनीतिक और रक्षा सहयोग को गहराने पर जोर दिया। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थायित्व और समृद्धि लाने के लिए और हिंद महासागरीय क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए योगदान जारी रखने पर दोनों देशों ने सहमति जताई।
बैठक के दौरान दोनों मंत्रियों ने रक्षा सहयोग के क्षेत्र में हुई प्रगति का जायजा लिया और इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देशों के रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच विभिन्न स्तरों और विभिन्न क्षेत्रों की वार्ताएं एक दूसरे के लिए लाभदायक रही हैं। स्मिथ ने कहा, आज की वार्ता के दौरान मंत्री एंटनी और मैं ऑस्ट्रेलिया एवं भारत के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने के व्यवहारिक उपाय करने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा, द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की प्रगति की समीक्षा और भविष्य में सहयोग के लिए क्षेत्र तलाशने का यह समयोचित अवसर था। उन्होंने दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग वृद्धि का भी जायजा लिया।
भारत ने आगामी अक्तूबर में सिडनी में आयोजित होने वाले ‘इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू’ में भारतीय नौसैनिक जहाज को शामिल करने के ऑस्ट्रेलियाई निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
एंटनी की यात्रा से कुछ ही दिन पहले ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक श्वेत पत्र जारी किया था। जिसमें कहा गया था, भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक देश के रूप में उभर रहा है, पूर्व की तरफ मुखातिब है, और यह क्षेत्रीय मंचों पर ज्यादा शामिल हो रहा है। वर्ष 2013 के ऑस्ट्रेलियाई रक्षा श्वेत पत्र में भारत-प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक, रणनीतिक और सैन्य क्षमताओं में वृद्धि के कारण होने वाले रणनीतिक बदलावों को प्रमुखता से दर्शाया गया। स्मिथ ने कहा, रक्षा सहयोग के साथ-साथ इन रणनीतिक बदलावों को समझने में एक दूसरे की मदद करने में भारत और ऑस्ट्रेलिया के साझे हित निहित हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 5, 2013, 17:20