Last Updated: Tuesday, May 14, 2013, 10:12
वॉशिंगटन : पाकिस्तान के चुनावों के नतीजों के बाद भारत-पाक रिश्तों में भले ही सकारात्मक भावना आई हो लेकिन एक पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक का मानना है कि नई दिल्ली के प्रति इस्लामाबाद के रुख में बहुत बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने यह बात पाकिस्तान में चुनाव पश्चात परिदृश्य के विश्लेषण के बाद कही है। उन्होंने कहा कि आनन फानन में बहुत कुछ होगा लेकिन भारत के प्रति रुख में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं होगा।
पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के अनुसार, शरीफ ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया है। एक सवाल के जवाब में हक्कानी ने कहा कि मुझे लगता है कि नवाज शरीफ भारत के साथ कम से कम सामान्य स्तर पर ज्यादा बेहतर संबंध चाहेंगे जैसे क्रिकेट मैच, सांस्कृतिक आदान प्रदान और पंजाबियों से पंजाबी में बात करना आदि।
उन्होंने सवाल किया ‘लेकिन रणनीतिक तौर पर, क्या वह (नवाज) कहेंगे कि कश्मीर मुद्दे को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ो? मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा। क्या वह कहेंगे कि हमें उस ‘सर्वाधिक तरजीही देश’ करार को कार्यान्वित करने की जरूरत है जो पीपीपी ने किया और जो सेना की वजह से लटका हुआ है? पूर्व राजनयिक ने कहा कि लश्कर-ए-तोएबा की स्थापना और करगिल युद्ध जैसे घटनाक्रम हमेशा से ही, भारत के साथ अच्छे संबंध रखने के नवाज शरीफ के इरादों के विरोधाभासी रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 14, 2013, 10:12