Last Updated: Tuesday, July 23, 2013, 17:50

वाशिंगटन : भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह नरेन्द्र मोदी के वीजा की वकालत करने के लिए यहां पहुंचे हुए हैं लेकिन इसी बीच, संसद के 65 सदस्यों ने राष्ट्रपति बराक ओबामा को चिट्ठी लिखकर अमेरिकी प्रशासन से अपील की है कि वह मोदी को वीजा नहीं देने की मौजूदा नीति को बनाए रखे।
12 राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखने वाले सांसदों ने ओबामा को लिखे पत्र में कहा है, हम सम्मानपूर्वक आपसे अपील करते हैं कि मिस्टर मोदी को अमेरिका का वीजा नहीं देने की मौजूदा नीति को बनाए रखा जाए। ऐसे ही एक पत्र पर राज्यसभा के 25 सदस्यों तथा एक अन्य पत्र पर लोकसभा के 40 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। ये पत्र 26 नवंबर और 5 दिसंबर 2012 को लिखे गए थे जिन्हें रविवार को व्हाइट हाउस को फिर से फैक्स किया गया है।
राजनाथ सिंह के अमेरिकी सांसदों, थिंक टैंक और अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात के लिए वाशिंगटन पहुंचने के साथ ही इंडियन अमेरिकन मुस्लिम कौंसिल द्वारा पत्रों की प्रतियां उपलब्ध करायी गयीं। राजनाथ यहां अमेरिकियों से मोदी के लिए वीजा पर लगे प्रतिबंध केा हटवाने की अपील करेंगे।
इस अभियान की कमान संभालने वाले राज्यसभा के निर्दलीय सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा कि उन्होंने मौजूदा अभियान तथा राजनाथ द्वारा मोदी के लिए वीजा देने को लेकर उठाए गए कदमों के कारण ये पत्र भेजे हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि इन पत्रों को पहली बार सार्वजनिक किया गया है।
राजनाथ सिंह ने रविवार को न्यूयार्क में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि वह अमेरिकी सांसदों से अपील करेंगे कि वे वर्ष 2002 के गोधरा दंगों के बाद मोदी पर लगाए गए वीजा प्रतिबंध को हटवाने के लिए अमेरिकी प्रशासन पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें। गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान मानवाधिकारों के हनन के आधार पर वीजा पर प्रतिबंध लगाया गया था। पत्रों पर हस्ताक्षर करने वालों में माकपा नेता सीताराम येचुरी और भाकपा सांसद एम पी अच्युतन शामिल हैं। दोनों राज्यसभा के सदस्य हैं।
संपर्क करने पर येचुरी ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि यह कट पेस्ट का मामला लगता है। येचुरी ने कहा, मैं अमेरिकी प्रशासन को पत्र लिखने वाला और इस प्रकार का कदम उठाने वाला अंतिम व्यक्ति होउंगा। हम नहीं चाहते कि कोई देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करे। ये ऐसे मसले हैं जिनका समाधान भारतीय राजनीति के तहत किया जाना चाहिए। अच्युतन ने भी ऐसा कोई पत्र लिखे जाने से इनकार किया।
हालांकि अदीब ने जोर देकर कहा कि येचुरी और अच्युतन ने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे और उन्हें हैरानी है कि वे अब क्यों पीछे हट रहे हैं। ओबामा को लिखे पत्र में कहा गया है, मिस्टर मोदी प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारियों समेत अपराधियों के खिलाफ कानूनी मामले अभी भी लंबित हैं और इस समय प्रतिबंध को हटाने से इसे 2002 के नरसंहार में मोदी की भूमिका से जुड़े मुद्दों को खारिज किए जाने के रूप में देखा जाएगा।
पत्र में कहा गया है कि इस समय मोदी पर से प्रतिबंध हटाने से उनके मानवाधिकार उल्लंघन करने वाले कदमों को वैधता मिलेगी और इससे अमेरिका-भारत संबंधों की प्रकृति पर गंभीर असर पड़ेगा। इससे यह संदेश भी जाएगा कि अमेरिका मानवाधिकारों एवं न्याय के सार्वभौम मूल्यों पर आर्थिक हितों को तवज्जो देता है। इस पर, हस्ताक्षर करने वालों में सबीर अली और अली अनवर अंसारी (जदयू), रशीद मसूद (कांग्रेस), एस अहमद (तृणमूल कांग्रेस), असदुद्दीन ओवैसी (ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन), तिरूमावलन (विदुथलाई चिरूतैगल काची), केपी रामालिंगम (द्रमुक) और एसएस रासमासुब्बु (कांग्रेस) शामिल हैं।
सांसदों ने आरोप लगाया कि मोदी ने न सिर्फ न्याय की प्रक्रिया में बाधा डालर बल्कि पीड़ितों को पुनर्वास मुहैया करने में भी नाकाम रहे, जिनमें से 16,000 लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में शरणार्थी कॉलोनियों में रह रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 23, 2013, 17:37