Last Updated: Sunday, September 4, 2011, 12:43
एजेंसी. नाटो भारत के समक्ष अपनी मिसाइल प्रणाली प्रौद्योगिकी देने का प्रस्ताव रखा है. इससे भारत अपने शत्रु के मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता या तकनीक बना सकेगा.
इस तरह भारत रूस के बाद दूसरा ऐसा देश बन गया है जिसके साथ अमेरिका के नेतृत्व वाले इस सैन्य गठबंधन ने महत्वपूर्ण मिसाइल रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने की इच्छा जाहिर की है.
मई 2001 में शुरू हुई नाटो की मिसाइल रक्षा परियोजना का लक्ष्य मिसाइल हमलों से खुद को बचाने की और गठबंधन की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए सदस्य देशों के साथ काम करना है. भारत भी इस क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों से उपस्थित मिसाइल खतरों को देखते हुए अपनी पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइल प्लेटफॉर्म पर आधारित खुद की बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की प्रक्रिया में है.
भारतीय पत्रकारों के एक समूह के साथ ब्रसेल्स के अपने मुख्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''आपके सामने मिसाइल का खतरा है. हमारे सामने भी मिसाइल का खतरा है. इन मिसाइलों से रक्षा की हमारी जरूरतें समान हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि आपकी रणनीतिक स्थिति हमसे भिन्न है. लेकिन मिसाइल का पता लगाने और उसे मार गिराने की तकनीक समान है.''
अधिकारी ने कहा कि भारत और नाटो के समक्ष खतरें विभिन्न दिशाओं से आ सकते हैं और यह जरूरी नहीं कि भारत जिन खतरों को देखता हो, उसे नाटो भी देख रहा हो. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि यह सहयोग अमेरिका के नेतृत्व में ही होगा. नाटो में शामिल अन्य किसी भी सदस्य देश की तुलना में अमेरिका के पास आधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा विकास परियोजना है, जबकि भारत का फ्रांस और ब्रिटेन सहित कई अन्य नाटो देशों के साथ भी समान रूप से मजबूत द्विपक्षीय सम्बंध हैं.
First Published: Sunday, September 4, 2011, 18:15