`भारत, चीन के नक्शे कदम पर चले द. अफ्रीका`

`भारत, चीन के नक्शे कदम पर चले द. अफ्रीका`

डरबन : जीवन रक्षक दवाओं को सस्ता करने के मामले में दक्षिण अफ्रीका को अपने ब्रिक्स सहयोगी भारत और चीन के नक्शे कदम पर चलना चाहिए। यह बात एक मानवतावादी संगठन, `डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर` (मेडिसीन सैंस फ्रॉन्टीयर्स या एमएसएफ) ने कही है। एमएसएफ के दक्षिण अफ्रीका के लिए मीडिया अधिकारी केट रिबेट ने जोहांसबर्ग में कहा कि अन्य ब्रिक्स देशों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के समझौते में उल्लिखित सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रावधानों को लागू करने के लिए जुलाई 2011 में किए गए वादे पर अमल कर लिया है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक रिबेट ने कहा, ब्राजील, भारत और चीन के कदम से करदाताओं के लाख डॉलर की बचत हुई और दवाओं की कीमत कम होने से अधिक लोगों को इसका फायदा मिला। उन्होंने कहा, दक्षिण अफ्रीका काफी पीछे रह गया है, क्योंकि यह अब भी फार्माश्यूटिकल्स कम्पनियों के पेटेंट एकाधिकार की रक्षा करता है और आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता कर रहा है।

एमएसएफ ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में लागू पेटेंट प्रणाली के तहत डब्ल्यूटीओ की 20 सालों की सीमा से आगे भी फार्माश्यूटिकल कम्पनियों के पेटेंट की रक्षा की जाती है और दवाओं के अत्यधिक महंगा होने की स्थिति में पेटेंट को खारिज कर अनिवार्य लाइसेंस (सीएल) जारी नहीं किया जाता है।

भारत में इसी माह के शुरू में कैंसर की एक दवा सोराफेनिब पर सीएल को लागू रखा गया, जिसके कारण जेनरिक सोराफेनिब की 200 एमजी की एक टैबलेट की कीमत भारत में एक डॉलर रह गई, जो ब्रांडनेम उत्पाद से 97 फीसदी सस्ता है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, March 27, 2013, 16:26

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