`भारत-चीन को 1962 युद्ध के साए से बाहर निकलना चाहिए`

`भारत-चीन को 1962 युद्ध के साए से बाहर निकलना चाहिए`

`भारत-चीन को 1962 युद्ध के साए से बाहर निकलना चाहिए`बीजिंग : भारत के साथ सीमा वार्ता में शामिल चीन के मुख्य वार्ताकार दाई बिनगुओ ने नयी दिल्ली और बीजिंग के बीच दो हजार साल पुराने संबंध का उल्लेख करते हुए कहा है कि दोनों को देश को 1962 के युद्ध के साये से बाहर निकलकर उज्वल भविष्य का निर्माण करना चाहिए।

दोनों देशों के बीच 15 दौर की वार्ता में शामिल हो चुके 71 वर्षीय दाई ने कहा, चीन और भारत के बीच दो हजार साल पुराने संबंध में हम 99.9 फीसदी समय मित्र रहे हैं, जबकि कड़वाहट का अनुभव महज 0.1 फीसदी है।’’ दाई अगले साल मार्च में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्होंने भारत के चार वरिष्ठ अधिकारियों ब्रजेश मिश्रा, जे एन दीक्षित, एम के नारायणन और मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के साथ सीमा मुद्दे पर वार्ता की है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में ज्यादा से ज्यादा लोगों का मानना है कि दोनों देशों को आगे बढ़ने की भावना के साथ अतीत के साये से बाहर निकलना चाहिए। अतीत से सीख लेना चाहिए, न कि यह हमें उज्वल भविष्य बनाने के प्रयास में बाधा बने। मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत हूं।’

दाई ने कहा, ‘‘अगर इच्छा है तो कुछ भी असंभव नहीं है। जब तक हम दोस्त रहने के प्रति समर्पित हैं, एक दूसरे को दुश्मन नहीं मानते हैं और सह-अस्तित्व तथा समान सहयोग को बढ़ावा देते हैं, तो हम अपने लोगों और पूरी मानवता के हित में चमत्कार करने में सक्षम होंगे।’’ उन्होंने कहा कि भारत के साथ शांतिपूर्ण विकास को आगे बढ़ाने तथा मित्रवत एवं सहयोगात्मक संबंध विकसित करने के लिए चीन प्रतिबद्ध है।

दाई ने कहा, ‘‘मेरे विचार में भारत रणनीतिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र है। वह किसी के कहने या आदेश पर नहीं चलेगा। गुटनिरपेक्ष आंदोलन का अगुवा होने के चलते भारत अपनी पारंपरिक स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रहेगा और क्षेत्र तथा बाहर में शांति एवं विकास में योगदान देगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका के बीच परस्पर सम्मान के आधार पर सामान्य रिश्ते बनाने के प्रयासों का स्वागत करता है।’’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 5, 2012, 16:56

comments powered by Disqus