Last Updated: Thursday, May 30, 2013, 22:06

बैंकॉक : द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को ‘बड़ा प्रोत्साहन’ देने वाले कदम के तौर पर भारत और थाईलैंड ने 20 वषरें की बातचीत के बाद आज बहुप्रतीक्षित प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों ने धनशोधन, आतंकवाद को वित्तीय मदद देने के मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए तथा सजायाफ्ता लोगों के स्थानांतरण को लेकर एक संधि को अनुमोदित किया। इससे उन कैदियों को एक दूसरे के यहां भेजा जा सकेगा जो अपनी सजा का एक हिस्सा काट चुके हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी थाई समकक्ष यिंगलक शिनावात्रा के बीच बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और शिक्षा में सहयोग से जुड़ा समझौता भी शामिल है। भारत की वित्तीय खुफिया इकाई और थाईलैंड के धनशोधन विरोधी संगठन के बीच धनशोधन एवं आतंकवाद को वित्तीय मदद मुहैया कराए जाने से संबंधित खुफिया जानकारियों के आदान-प्रदान पर सहयोग को लेकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
इस सहमति पत्र से धनशोधन और धनधोशन से संबंधित आपराधिक गतिविधि तथा आतंकवाद को वित्तीय मदद मुहैया कराने के संदर्भ में जांच में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसमें इस तरह के मुद्दों पर सूचना एकत्र करने, विश्लेषण करने और आदान प्रदान करने में मदद की बात भी शामिल है। सिंह ने कहा, ‘हमारे बढ़ते सुरक्षा सहयोग को आज बड़ा प्रोत्साहन मिला है। दो दशक की बातचीत के बाद प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए जाने और धनशोधन के खिलाफ सहमति पत्र से आतंकवाद, संगठित अपराध, मादक द्रव्यों की तस्करी और जालसाजी का मुकाबला करने के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता को लेकर बड़ा संदेश गया है।’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हमने आदान प्रदान, अभ्यासों तथा संयुक्त गश्ती सहित रक्षा संबंधों को आगे मजबूत करते रहने पर सहमति जताई है।’ अंडरवर्ल्ड डॉन और दूसरे प्रतिबंधित संगठनों के लोगों के लिए थाईलैंड शरण लेने के लिए लंबे समय से सुरक्षित स्थान रहा है। भारत दाउद के साथ मुन्ना जिंगादा के जल्द प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। जिंगादा की तलाश मुंबई पुलिस को लंबे समय से है। वह कई मामलों में वांछित है। वह बैंकॉक की जेल में बंद है। उस पर भारत और पाकिस्तान दोनों दावा कर रहे हैं।
साल 2001 में जिंगादा ने दाउद का दाहिना हाथ माने जाने वाले छोटा शकील के कहने पर छोटा राजन पर हमला किया था। इस हमले में राजन घायल हो गया था, लेकिन प्रत्यर्पण से बचने के लिए अस्पताल से भाग गया। नगा उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल फॉर नगालिम (इसाक-मुइवा) भी यहां के चिंयांग माइ में अपना एक कार्यालय संचालित कर रहा है। उल्फा के नेता भी थाईलैंड को सुरक्षित स्थली के तौर पर इस्तेमाल करते रहे हैं।
दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने उस द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर का स्वागत किया है जो राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम करने वाले तत्वों से निपटने में द्विपक्षीय सहयोग के लिए कानूनी आधार उपलब्ध कराता है। सिंह और यिंगलक ने आतंकवाद, संगठित अपराध, मादक द्रव्यों की तस्करी, जालसाजी और मानव तस्करी का मुकाबला करने में द्विपक्षीय सहयोग को महत्वपूर्ण ढंग से बढ़ाने के संकल्प को दोहराया है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 30, 2013, 22:06