भारत-यूएस साझा रक्षा परियोजनाओं की पहचान करने पर सहमत

भारत-यूएस साझा रक्षा परियोजनाओं की पहचान करने पर सहमत

वाशिंगटन : भारत और अमेरिका अपने बीच रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के प्रयास के तहत अगले एक साल में आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों की सहयोगात्मक परियोजनाओं की पहचान करने के लिए सहमत हो गए हैं। द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की तारीफ और रक्षा संबंधों में हुई प्रगति पर संतुष्टि जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कल एक संयुक्त बयान में दोनों पक्षों की ओर से और ज्यादा रक्षा सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।

दोनों नेताओं ने व्हाइट हाउस में अपनी बैठक के बाद शुक्रवार को रक्षा सहयोग के मुद्दे पर एक संयुक्त घोषणा की, जो कि उनमें परस्पर रक्षा तकनीक हस्तांतरण, शोध, सह-विकास और सह-निर्माण के लिए उनके संबंधों को आगे बढ़ाने का माध्यम है। रक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा में कहा गया, दोनों पक्ष अगले साल के दौरान आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों की सहयोगात्मक परियोजनाओं के लिए विशेष अवसरों की पहचान करने की ओर अग्रसर हैं। साझा घोषणा में कहा गया कि दोनों देशों के साझा सुरक्षा हित हैं और दोनों एक दूसरे को अपने करीबी सहयोगियों के रूप में देखते हैं। (एजेंसी)

इस घोषणा में कहा गया है कि सबसे आधुनिक और परिष्कृत प्रौद्योगिकी समेत रक्षा तकनीक हस्तांतरण, व्यापार , शोध, सह-विकास और रक्षा सामग्री के सह उत्पादन तथा सेवा के क्षेत्र में भी यही सिद्धांत लागू होगा। घोषणा के मुताबिक, दोनों देश लाइसेंस प्रक्रिया को सुधारने और जहां जरूरी हो, वहां इस सहयोग को सुगम बनाने के लिए शीघ्र लाइसेंस मंजूरी की प्रक्रिया को अपनाने का काम करेंगे। अमेरिका और भारत एक दूसरे की संवेदनशील प्रौद्योगिकी और सूचनाओं की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। अमेरिका ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की पूर्ण सदस्यता को पूरा समर्थन जारी रखता है। इससे तकनीक के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी।

इसमें आगे कहा गया है, दोनों पक्ष अपने-अपने खरीद-व्यवस्थाओं और सहमति प्रक्रियाओं, रक्षा-व्यापार से जुड़ी समस्याओं से निपटने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग के क्षेत्र में आपसी तालमेल एवं समझबूझ को मजबूत करने के प्रयासों को जारी रखेंगे। ओबामा ने वर्ष 2014 में यूएस पैसेफिक कमान द्वारा आयोजित किए जाने वाले ‘प्रशांत में नौसैन्य अभ्यासों’ (रिम ऑफ द पेसिफिक आरआईएमपीएसी) में शामिल होने के भारत के फैसले का स्वागत किया।

घोषणापत्र के अनुसार, दोनों देशों ने परमाणु अप्रसार सहयोग को जारी रखने के उद्देश्य से अमेरिका और भारत के नजदीकी सहयोग की समीक्षा की ताकि बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में शामिल होने की नई दिल्ली की इच्छाओं को समझा जा सके। ओबामा ने इन समूहों में भारत को जल्दी ही सदस्यता दिलाने का समर्थन दोहराया। वैश्विक परमाणु सुरक्षा को मजबूती देने के लिए वर्ष 2014 में हेग में होने वाले परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के लिए तैयार दोनों देश, वर्ष 2010 में भारत के परमाणु उर्जा साझेदारी वैश्विक केंद्र के साथ हस्ताक्षरित सहमति पत्र के जरिए आपसी सहयोग बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

दोनों नेताओं ने 21 वीं सदी में आतंकवाद की रोकथाम, साइबर क्षेत्र और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों के समाधान के लिए भारत तथा अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का आह्वान भी किया। (एजेंसी)

First Published: Saturday, September 28, 2013, 09:06

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