Last Updated: Friday, June 21, 2013, 16:08

कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने मीडिया में आई खबरों को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार ने ‘1987 भारत-लंका करार’ का कोई उल्लंघन नहीं किया है।
मीडिया के साथ बातचीत के दौरान राजपक्षे ने कहा, ‘हमने भारत-लंका करार का कोई उल्लंघन नहीं किया है।’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने श्रीलंकाई संविधान में हुए 13वें संशोधन को लेकर कोई चिंता नहीं जताई है।
साल 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच जो शांति करार हुआ था उसके तहत श्रीलंकाई प्रांतों तक शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया गया था ताकि लिट्टे एवं सरकारी बलों के बीच चल रहा गृहयुद्ध खत्म हो सके।
श्रीलंकाई सेना के अभियान में साल 2009 में लिट्टे का खात्मा कर दिया गया। यह संगठन तीन दशकों से पृथक तमिल राष्ट्र की मांग को लेकर सशस्त्र संघर्ष कर रहा था।
मीडिया की खबरों में कहा गया था कि भारत सरकार श्रीलंकाई संविधान के अनुच्छेद 13ए में संशोधन को लेकर अपनी चिंता से कोलंबो को अवगत कराने की योजना बना रही है। श्रीलंकाई सरकार इस संशोधन के जरिए उस प्रावधान को हटाना चाहती है जिसके तहत दो या इससे अधिक प्रांत एक-दूसरे के साथ विलय कर सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, June 21, 2013, 16:08