भूटान में पीडीपी को प्रचंड बहुमत, बनाएगी सरकार

भूटान में पीडीपी को प्रचंड बहुमत, बनाएगी सरकार

भूटान में पीडीपी को प्रचंड बहुमत, बनाएगी सरकार थिंपू : भूटान की मुख्य विपक्षी पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने देश के दूसरे संसदीय चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए शनिवार रात सत्ता पर कब्जा कर लिया। इन चुनावों में भारत द्वारा मिट्टी के तेल और रसोई गैस पर सब्सिडी खत्म करना बड़ा मुद्दा था।

ताजा चुनावी परिणाम के अनुसार, पीडीपी ने 47 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 31 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि सत्तारूढ़ द्रुक फुएनसम शोगपा (डीपीटी) को 14 सीटें मिलीं और दो सीटों के चुनाव परिणाम अभी आने हैं। सरकार बनाने के लिए पार्टी को कम से कम 24 सीटों की जरूरत होती है।

भूटान में 2008 में लोकतंत्र आने के बाद यह दूसरी बार आम चुनाव हुए। पिछले चुनावों में विपक्षी पीडीपी 47 में से दो ही सीटों पर जीत दर्ज कर सकी थी।

शांतिपूर्ण तरीके से हुए इन चुनावों में 80 प्रतिशत मतदान हुआ। डीपीटी ने 45 सांसदों के साथ देश पर पांच साल शासन किया और जिग्मी वाई थिनले प्रधानमंत्री रहे थे।

चुनावी अभियान के दौरान, विपक्षी दलों ने जनता के सामने यह बात रखी कि उनके सत्ता में आने पर भारत द्वारा मिट्टी के तेल और रसोई गैस पर समाप्त की गई सब्सिडी का मुद्दा सहित अन्य चिंताएं दूर की जाएंगी।

भारत ने 30 जून को भूटान के साथ समझौता समाप्त होने के बाद इस देश को सब्सिडी वाली गैस देनी बंद कर दी थी।
भारत ने हालांकि भूटान को आश्वासन दिया है कि वह उसे ‘परेशान’ नहीं होने देगा और वह नई सरकार के साथ इस मुद्दे पर पूरी तरह से विचार-विमर्श करेगा। इसी के साथ भारत का कहना था कि सब्सिडी का उचित प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए ‘ध्यानपूर्वक हिसाब’ करने की आवश्यकता है।

चुनावों से पहले पीडीपी महासचिव सोनम जात्शो ने कहा था कि भारत-भूटान रिश्ते इतने मजबूत हैं कि आप कल्पना नहीं कर सकते कि इन्हें कुछ छोटे मुद्दों के कारण कोई नुकसान भी पहुंच सकता है।

उन्होंने कहा, ‘हम लोगों को बता रहे हैं कि भारत भूटान रिश्तों में दरार आने संबंधी संदेह जैसी कोई बात नहीं है। रिश्ते केवल गहरे और मजबूत हुए हैं। लेकिन पिछली सरकार की कुछ नीतियों के कारण लोग कुछ डगमगा गये हैं। अगर हमारी सरकार बनती है तो हम सभी मुद्दे सुलझा लेंगे।’

भारत ने भूटान को करीब 4130 इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीन (ईवीएम) समेत चुनाव के लिए सहायक सामग्री मुहैया करायी है। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत को पर्यवेक्षक के तौर पर यहां आमंत्रित किया गया है। 31 मई को चुनावों के पहले चरण के मतदान के दौरान द्रुक नायम्रब शोगपा (डीएनटी) और द्रुक चिरवांग शोगपा (डीटीसी) को हार का सामना करना पड़ा था जिसके कारण अंतिम चरण में अब केवल डीपीटी और पीडीपी के बीच मुकाबला है।

भूटान में त्रिस्तरीय संसद हैं जिसमें नरेश, नेशनल काउंसिल और नेशनल असेंबली शामिल है। नेशनल काउंसिल या ऊपरी सदन में 25 सीटें हैं जिसमें से पांच पर नियुक्ति नरेश द्वारा होती है जबकि 20 का निर्वाचन 20 जिलों से होता है। नेशनल असेंबली या निचले सदन में 47 सीटें हैं जिनके सदस्य 47 संसदीय क्षेत्रों से चुने जाते हैं। दोनों सदनों के प्रतिनिधियों का पहली बार चुनाव वर्ष 2008 में हुआ था।

स्थानीय समयानुसार सुबह नौ बजे शुरू हुए मतदान के लिए पारंपरिक परिधानों में सज धजकर पुरुष, महिलाएं, युवा और वृद्ध मतदान केंद्रों पर आए।

पहली बार मतदान कर रहे थिंपू कालेज के छात्र पेमा देमा ने कहा, ‘मैं अपना मत डालकर देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनकर उत्साहित हूं।’ इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष शेरिंग तोबगे ने कहा कि ये चुनाव काफी अहम हैं और काफी कुछ दांव पर लगा है।

भूटान में 1,87,917 महिलाओं समेत 3,81,790 पंजीकृत मतदाता 47 सीटों के लिए 94 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इसके अलावा 48 हजार डाक से मतदान करने वाले मतदाता हैं।

मतदान के लिए सुरक्षाकर्मियों समेत 10,000 अधिकारियों को तैनात किया गया था। देश में 215 अस्थायी मतदान केंद्रों समेत कुल 850 केंद्र थे। (एजेंसी)

First Published: Saturday, July 13, 2013, 22:01

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