Last Updated: Monday, May 27, 2013, 23:09
डरबन : दक्षिण अफ्रीका के जुलू प्रेशर समूह ने दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों को बदलाव की प्रक्रिया से अलग किए जाने की मांग करते हुए कहा है कि जिस समय से महात्मा गांधी यहां रहते थे, उस समय से इन लोगों ने अश्वेत दक्षिण अफ्रीकियों के साथ ‘खुलकर नस्लवाद’ किया। उधर, सरकार और भारतीय समुदाय दोनों ने इस समूह के दावों को खारिज कर दिया है।
खुद को दक्षिण अफ्रीका के मूल नागरिक हितों का पैरोकार होने का दावा करने वाले समूह ‘माजिबुए अफ्रीकन फोरम’ ने ख्वाजुलू नातट प्रांत की सरकार द्वारा डरबन में सबसे पहले 1860 में आए भारतीयों की याद में एक प्रतिमा बनाने का फैसला किए जाने के संदर्भ में नस्लदवाद वाली बात कही है। इस समूह के प्रमुख ज्वेली सांगवेनी ने एक बयान में कहा, ‘‘ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार द्वारा यहां लाए जाने पर भारत के लोग अफ्रीकियों को लेकर खुलकर नस्लवादी रूख अपनाते थे।’’ (एजेंसी)
First Published: Monday, May 27, 2013, 23:09