मुश्किल दौर में पाकिस्तान की सियासत - Zee News हिंदी

मुश्किल दौर में पाकिस्तान की सियासत



 

इस्लामाबाद : पाकिस्‍तान एक बार फिर संकट में घिरता दिख रहा है। पाक सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को गुरुवार को अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार दिया और जेल की सजा न देते हुए ‘अदालत के उठने तक’ यानी सुनवाई खत्म होने तक की सांकेतिक सजा सुनाई। हालांकि, इस सवाल का जवाब अब तक पता नहीं चल सका है कि अदालत के इस फैसले के बाद क्या गिलानी प्रधानमंत्री पद के अयोग्य हो जाएंगे।

 

जियो टीवी के अनुसार, कोर्ट के इस फैसले के बाद पाक कैबिनेट ने फैसला किया कि प्रधानमंत्री गिलानी इस्‍तीफा नहीं देंगे। पाक सरकार की बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय किया गया कि गिलानी को इस्‍तीफा देने की जरूरत नहीं है।  पाकिस्तान के मंत्रिमंडल ने बैठक में तय किया कि प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उन्हें आपराधिक आरोप के तहत दोषी नहीं ठहराया गया।

 

पाक में विपक्षी दलों ने न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए जाने के बाद प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से पद छोड़ने की मांग की है। क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान ने ट्विटर पर लिखा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद गिलानी के पास रहा सहा कानूनी एवं नैतिक अधिकार खत्म हो चुका है। गिलानी को कोर्ट ने महज 30 सेकेंड का प्रतीकात्मक दंड दिया। इमरान खान ने गिलानी के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि पीटीआई कानून एवं सर्वोच्च न्यायालय के साथ खड़ी है। विधि का शासन एवं न्यायपालिका की स्वतंत्रता अवश्य बनाए रखनी चाहिए।

 

वहीं, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) प्रमुख एवं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद गिलानी को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने टीवी चैनल 'जिओ न्यूज' से कहा कि गिलानी को नव निर्वाचित प्रधानमंत्री के लिए रास्ता छोड़ना चाहिए। शरीफ ने कहा कि निर्णय आने के बाद मैं सोचता हूं कि प्रधानमंत्री को मामले को लंबा खींचने के बजाय पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने तुरंत चुनाव कराने एवं स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए निष्पक्ष प्रधानमंत्री की नियुक्ति की मांग की।

 

 

उधर, पाक के एक मंत्री ने कहा कि गिलानी को दोषी करार देने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार सूचना एवं प्रसारण मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए याचिका दायर की जाएगी। न्यायालय के आदेश की प्रति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
गौर हो कि गिलानी को न्यायालय के निर्देश के बावजूद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को दोबारा खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र न लिखने पर अवमानना का दोषी ठहराया गया है। न्यायमूर्ति नासिर-उल- मुल्क की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने गिलानी को सजा सुनाते हुए कहा था कि जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करने पर प्रधानमंत्री को अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया है। दोषी करार दिए जाने का कारण बाद में बताया जाएगा। 

(एजेंसी)

First Published: Thursday, April 26, 2012, 23:47

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