मेमो: हक्कानी को आयोग के समक्ष पेश होने का निर्देश - Zee News हिंदी

मेमो: हक्कानी को आयोग के समक्ष पेश होने का निर्देश

इस्लामाबाद : मेमो कांड की जांच कर रहे पाकिस्तानी न्यायिक आयोग ने अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी को नौ जनवरी को अपने समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने सरकार को निर्देश दिया कि वह आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए हक्कानी को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए और कार्यवाही के लिए उन्हें वकील रखने का अवसर दे।

 

पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यवसायी मंसूर एजाज द्वारा कथित मेमो को सार्वजनिक करने के बाद हक्कानी को अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के पद से इस्तीफा देने पर बाध्य होना पड़ा था। उस मेमो में गत मई में ऐबटाबाद में अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद देश में पाकिस्तानी सेना को तख्तापलट से रोकने के लिए अमेरिका से मदद मांगी गई थी।

 

आयोग ने साथ ही सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यवसायी मंसूर एजाज के बीच ब्लैकबेरी के जरिए हुई बातचीत के रिकॉर्ड हासिल करें। मेमोकांड के खुलासे ने पाकिस्तान के कूटनीतिक और राजनैतिक गलियारे में भूचाल ला दिया था।

 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने अटॉर्नी जनरल अनवार-उल-हक से कनाडा की फर्म रिसर्च इन मोशन और पाकिस्तान में ब्लैकबेरी के प्रतिनिधि से हक्कानी और एजाज के बीच हुए संवाद का रिकॉर्ड हासिल करने को कहा था। इसमें बीबीएम, ई-मेल और अन्य आंकड़े शामिल हैं।

 

सोमवार की बैठक के दौरान आयोग ने एकबार फिर आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा, एजाज, हक्कानी, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स जोन्स और अन्य अहम प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और उनसे आयोग के समक्ष उपस्थित होने को कहा। एजाज ने दावा किया है कि उन्होंने हक्कानी के निर्देश पर ज्ञापन का मसौदा तैयार किया था और इसे अमेरिकी अधिकारी को सौंपा था। उसने यह भी दावा किया था कि हक्कानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इशारे पर काम कर रहे थे। एजाज के दावे का सरकार ने खंडन किया है।

 

शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते मेमो कांड की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की सदस्यता वाले आयोग का गठन किया था। आयोग से इस मामले की चार हफ्ते के भीतर जांच करने को कहा गया है। न्यायालय के इस आदेश से मेमोगेट प्रकरण में असैनिक सरकार पर और दबाव बढ़ गया है।

 

इस बीच, हक्कानी की वकील अस्मा जहांगीर ने कल कहा था कि वह आयोग के समक्ष उनका प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी क्योंकि उनका अदालत द्वारा गठित आयोग में विश्वास नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत को सुरक्षा प्रतिष्ठान प्रभावित कर रहा है। विदेश सचिव सलमान बशीर आयोग के समक्ष सोमवार को उपस्थित हुए। उन्होंने आयोग को सूचित किया कि हक्कानी के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई है।

 

यह पूछे जाने पर हक्कानी ने एजाज से कितनी बार मुलाकात की थी तो बशीर ने जवाब दिया कि विदेश मंत्रालय के पास मेमो और हक्कानी की नियुक्तियों के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है। आयोग ने बशीर से कहा है कि अगली सुनवाई में पूर्व राजदूत की बैठकों और क्या राजदूत सरकार की नीति के अनुसार काम कर रहे हैं इसकी जांच करने के लिए कोई व्यवस्था है, इस बारे में सूचित करें।

 

आयोग के प्रमुख बलूचिस्तान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया कि वह एजाज के सभी ज्ञात पतों और ई-मेल के जरिए उन्हें नोटिस भेजें। आयोग ने साथ ही सरकार को निर्देश दिया कि जब एजाज पाकिस्तान आएं तो वह उन्हें सुरक्षा प्रदान करें।

 

ईसा ने कहा कि जिरह के दौरान सबको पूरा अवसर दिया जाएगा और कार्यवाही पारदर्शी रहेगी। आयोग ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, संघीय जांच एजेंसी और आईएसआई को उसकी जांच के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया। उसने कैबिनेट सचिव को निर्देश दिया कि वह तेजी से इस बात को सुनिश्चित करे कि सभी लोग उसके आदेश का पालन करें।

 

अटॉर्नी जनरल हक ने संवाददाताओं से कहा कि उनका कार्यालय ब्लैकबेरी के जरिए हुई बातचीत का रिकॉर्ड हासिल करने के लिए रिसर्च इन मोशन को एक पत्र लिखेगा। उन्होंने कहा कि आईएसआई प्रमुख को इसलिए आयोग के समक्ष उपस्थित होना है ताकि वह एजाज और हक के बीच संपर्क के बारे में साक्ष्य प्रदान करें।
आयोग के सचिव और जिला एवं सत्र न्यायाधीश जव्वाद अब्बास ने मीडिया से कहा कि आयोग की कार्यवाही खुली रखी जाएगी।  (एजेंसी)

First Published: Monday, January 2, 2012, 22:10

comments powered by Disqus