यूएन हथियार व्यापार करार पर पाक का भारत को समर्थन

यूएन हथियार व्यापार करार पर पाक का भारत को समर्थन

संयुक्त राष्ट्र : पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र हथियार व्यापार करार के संबंध में भारत के रुख का समर्थन करते हुए कहा है कि यह करार हथियार निर्यातक देशों का पक्ष लेता है और आयातकों के हितों की रक्षा नहीं करता। यह करार विश्व भर में 70 अरब डालर के परंपरागत हथियार व्यापार को नियमित करने के लिये तैयार किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान ने कहा, ‘‘ इस करार में निर्यातकों और आयातकों के साथ साथ प्रभावित देशों के बीच हितों एवं कर्तव्यों के उचित संतुलन का अभाव है। ’’ न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गुरुवार को संपन्न हथियार व्यापार करार सम्मेलन में खान ने कहा कि बड़ी संख्या में सदस्य देशों ने संतुलित करार की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘‘विशेष छूट एवं सुरक्षा देकर निर्यातक देशों के हितों को साधा गया है।’’ ईरान, उत्तर कोरिया और सीरिया ने इस करार का विरोध किया जिसके कारण 193 सदस्य देशों के बीच सर्वसम्मति नहीं बन पाई और यह करार सफल नहीं हो पाया।

भारत ने कहा था कि यह करार हथियार निर्यातक देशों का पक्ष लेता है और राज्येतर संस्थाओं को ऐसे हथियारों की अवैध तस्करी के मुद्दे पर इसमें कुछ नहीं कहा गया है। पाकिस्तान हालांकि भारत द्वारा उठाई गई दूसरी चिंता पर मौन रहा। करार के समर्थकों ने अब इसके मसौदे को आगामी मंगलवार तक संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान के लिये पेश करने का फैसला किया है। इस मामले में भारत की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाना शेष है लेकिन वह इस करार के मसौदे के खिलाफ यदि मत नहीं देता तो भी उसके इससे दूर रहने की संभावना है।

अमेरिका ने गत गुरुवार को भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा था कि यह करार भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। हथियार व्यापार करार सम्मेलन में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख टॉम कंट्रीमैन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था , ‘‘मेरा मानना है कि यह करार भारत की सुरक्षा के लिये हानिकारक नहीं है और निश्चित तौर पर इससे किसी भी तरह भारत और अमेरिका के अत्यंत मजबूत द्विपक्षीय संबंध को कोई नुकसान नहीं होगा।’’ भारत की स्थायी प्रतिनिधि एवं हथियार व्यापार करार सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख सुजाता मेहता ने जिनेवा में निशस्त्रीकरण पर सम्मेलन में अंतिम दौर की चर्चा में कहा कि अंतिम मसौदा भारत और ऐसी सोच वाले अन्य देशों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता। इस सम्मेलन के शुरू होने पर भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि एटीटी को परंपरागत हथियारों की अवैध तस्करी के खिलाफ प्रभावी होना चाहिये। अंतिम मसौदे के प्रावधान कमजोर हैं।

सुजाता ने कहा कि भारत यह मंजूर नहीं कर सकता है कि यह करार निर्यातक देशों के हाथ का एक हथियार बन जाये और वे आयात करने वाले देशों के खिलाफ एकतरफा कदम उठायें। इससे पहले पिछले साल जुलाई में एक महीने तक चली वार्ता के बावजूद संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश इसे लागू कराने पर सहमति नहीं बना पाये थे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में हथियार व्यापार समझौते पर सहमति बना पाने में असफल रहने पर निराशा जतायी है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 30, 2013, 11:31

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