रक्षा तकनीक का हस्तांतरण चाहता है भारत

रक्षा तकनीक का हस्तांतरण चाहता है भारत

रक्षा तकनीक का हस्तांतरण चाहता है भारतवाशिंगटन : भारत ने अमेरिका के साथ विस्तारित होते रक्षा संबंधों में उसके साथ रक्षा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, सह विकास और सह उत्पादन पर जोर दिया है।

विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, हिलेरी और मैं रक्षा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और सह -विकास तथा सह-उत्पादन के बढ़ रहे महत्व का समर्थन करते हैं।
कृष्णा और हिलेरी ने तीसरी भारत अमेरिका सामरिक वार्ता के नतीजे की संवाददाताओं को जानकारी दी। यह वार्ता विदेश मंत्रालय के फॉगी बॉटम मुख्यालय में हुई।

विदेश विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार अमेरिका और भारत सैन्य साजो सामान की बिक्री और संयुक्त अनुसंधान, सह उत्पादन और सह विकास के जरिए अपनी रक्षा भागीदारी को जारी रखेंगे।

इसमें कहा गया कि पिछले एक दशक में नौ अरब अमेरिकी डॉलर की बिक्री और भारत को 10 अरब डॉलर की एक अन्य अमेरिकी रक्षा बिक्री से सैकड़ों नौकरियां सृजित होंगी ।

बयान के मुताबिक रक्षा बिक्री के जरिए अमेरिका और भारत के पास विश्व में सबसे बड़ा सी 17 परिवहन बेड़ा होगा। इससे समूचे क्षेत्र में मानवीय सहायता को मजबूत करने की उनकी क्षमता बढ़ेगी और विश्वभर में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में उनकी भूमिकाएं सुगम होंगी।

वर्ष 2011 में अमेरिका ने भारत के साथ 56 सहयोगात्मक आयोजनों में हिस्सा लिया। यह अन्य देशों के साथ भारत की भागीदारी से कहीं ज्यादा है। इनमें मालाबार, शत्रुजीत नाम के युद्धाभ्यास शामिल हैं।

कृष्णा ने संवाददाताओं से कहा, मैंने विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को द्वितीय विश्व युद्ध में मारे गए अमेरिकी सेवा के सदस्यों के अवशेषों की खोज के लिए अधिकारियों की टीम का भारत में स्वागत करने की इच्छा जताई है।

इससे पहले गुरुवार को भारत-अमेरिका सामरिक वार्ता में अपनी उद्घाटन टिप्पणी में हिलेरी ने कहा कि दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यासों में भाग ले रही हैं और उनके बीच जलदस्युओं से निपटने तथा समुद्र में गश्त जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, June 14, 2012, 17:43

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