Last Updated: Tuesday, July 9, 2013, 11:32
ज़ी मीडिया ब्यूरो इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि कुख्यात आतंकी संगठन अलकायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों तथा सुरक्षाबलों की लापरवाही की वजह से एक दशक तक एबटाबाद और आसपास के इलाके में छिपता रहा।
ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के अमेरिकी सैन्य अभियान पर मंगलवार को सामने आई आधिकारिक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। कतर स्थित एक टेलीविजन चैनल पर जारी हुई 336 पेजों की इस रिपोर्ट में देश की खुफिया एजेंसी को भी कड़ी फटकार लगाते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान की सरजमीं के अंदर छिपे बैठे ओसामा बिन लादेन अथवा अमेरिकी मुहिम का पता लगाने में नाकाम रहना, देश के लिए एक बहुत बड़ी विफलता थी। रिपोर्ट में कहा गया कि देश में फैले सीआईए नेटवर्क का पता नहीं लगा पाना दरअसल खुफिया एजेंसियों तथा सुरक्षाबलों की नाकामी और विफलता की ओर इंगित करता है।
रिपोर्ट में इस बात से भी इनकार नहीं किया गया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के कुछ तत्व भी लादेन के साथ मिले हो सकते थे। इसमें कहा गया कि सरकार के भीतर तथा बाहर के लोगों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके लिये किसी व्यक्ति को दोषी नहीं पाया गया। कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों द्वारा लादेन को आश्रय देने की बात कही थी, हालांकि पाकिस्तान ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि मई 2011 में अमेरिकी नौसेना के नेवी सीलकमांडो दस्ते ने एबटाबाद में विशेष अभियान को अंजाम देकर लादेन को मार गिराया था। सीआईए द्वारा एक दशक तक लादेन पर जुटाई गई जानकारियों से ही यह अभियान सफल हुआ था।
लादेन का परिवार अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हमले के कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान में दाखिल हुआ था, जबकि तत्कालीन अलकायदा सरगना ओसामा मध्य 2002 में पेशावर पहुंचा। समाचार पत्र ‘डॉन’ के अनुसार ऐबटाबाद आयोग की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई, लेकिन इसके कुछ अंश मीडिया में आए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका पर हमले के मामले में खालिद बिन अतास को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया। साल 2002 में हुई यह गिरफ्तारी सबसे पहली सफलता थी।
अतास कुवैत में पैदा हुए पाकिस्तानी नागरिक अहमद अली कुवैती की पहचान की थी। कुवैती ओसामा का दाहिना हाथ और संदेशवाहक था। इस तक पहुंचकर ही अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के लोग ओसामा तक पहुंचे थे। मई, 2011 में ऐबटाबाद में अमेरिका के विशेष सुरक्षा बलों की कार्रवाई में ओसामा मारा गया था। रिपोर्ट के अनुसार कुवैती तक पहुंचने के प्रयास में जुटी सीआईए ने 2009 से 2010 के बीच पाकिस्तान को चार फोन नंबर दिए, हालांकि उसने इसका खुलासा नहीं किया कि ये नंबर किसके हैं। ज्यादातर समय ये फोन बंद रहते थे। आईएसआई ने इस मामले के संदर्भ और फोन नंबर के स्वामी की पहचान जाने बिना ही सीआईए को लंबे समय तक अंधेरे में रख रखा था।
First Published: Tuesday, July 9, 2013, 11:32