Last Updated: Tuesday, May 14, 2013, 00:12

बीजिंग : चीन के एक सरकारी समाचार पत्र ने आज दावा किया कि भारतीय नेता घरेलू समस्याओं से बचने, वोट जुटाने और पश्चिमी देशों से उन्नत हथियार प्राप्त करने के लिए चीनी खतरे का हौव्वा दिखाते हैं और इसे एक ‘‘चाल’’ के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ के वेब संस्करण में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, ‘‘भारत में तथाकथित चीनी खतरे का इस्तेमाल भारतीय राजनेताओं द्वारा देश की जनता और पश्चिमी देशों को बेवकूफ बनाने के लिए किया जाता है।’’ लेख में हाल में लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच ‘‘तंबू टकराव’’ का उल्लेख करते हुए कहा गया है, ‘‘चीन के बारे में लहर उत्पन्न करके भारतीय राजनेता घरेलू समस्याओं से बच सकते हैं, राष्ट्रीय मनोबल बढ़ा सकते हैं और वोट जुटा सकते हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पश्चिमी देशों से उन्नत हथियार और प्रौद्योगिकियां हासिल कर सकता है।’’
समाचार पत्र में प्रकाशित लेख में कहा गया है, ‘‘वर्तमान समय में भारतीय नीति निर्धारकों की भारत-चीन संबंधों तथा भारत-अमेरिका संबंधों पर अपेक्षाकृत अधिक स्पष्ट समझ है। भारत में अभी भी चीन से सीधे मुकाबला करने की क्षमता नहीं है तथा आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने वाले देश के रूप में भारत को एक शांतिपूर्ण पड़ोस की आवश्यकता है।’’ यह लेख ऐसे दिन प्रकाशित हुआ है जब चीन ने प्रधानमंत्री ली क्विंग की भारत यात्रा की घोषणा की है जो 19 से 21 मई तक होगी।
लद्दाख में तंबूओं को लेकर टकराव की हाल की घटना का उल्लेख करते हुए लेख में कहा गया है कि ‘‘भारतीय समझ के अनुसार चीनी सेना ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और इस समय यह गत 25 वर्षों में सबसे गंभीर घुसपैठ है।’’ लेख में कहा गया है, ‘‘कुछ भारतीय मीडिया समूहों का दावा है कि गत तीन वर्षों ने चीन ने भारतीय सीमा में 600 बार घुसपैठ की।’’ इसमें कहा गया है कि चीन-भारत सीमा मुद्दा बहुत जटिल है और इसके चलते वर्ष 1962 में युद्ध भी हुआ। उस युद्ध ने भारत के लिए अपनी सेना को मजबूती प्रदान करने और परमाणु हथियार विकसित करने का बहाना दे दिया। इतने ‘घुसपैठों’ का मूल कारण यह है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर आम सहमति पर नहीं पहुंच पाये हैं।
हालांकि वर्ष 1993 के बाद से चीन और भारत ने शांति और सौहार्द बनाये रखने के लिए दो समझौतों और एक प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर किये हैं। इन प्रयासों से क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता बनाये रखने में मदद मिली है। इसमें कहा गया है, ‘‘इसकी संभावना बहुत कम है कि चीन और भारत के बीच गंभीर संघर्ष होगा।’’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 14, 2013, 00:12