Last Updated: Monday, October 1, 2012, 13:45

लंदन : लीबिया के पूर्व शासक मुअम्मर गद्दाफी की मौत के बारे में एक नया और सनसनीखेज खुलासा हुआ। मीडिया में आई खबरों की माने तो बीते साल सिरते में मौजूद भीड़ अथवा विद्रोहियों ने नहीं, बल्कि फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के आदेश पर एक फ्रांसीसी खुफिया एजेंट ने गद्दाफी के सिर में गोली मारी थी।
वर्षों तक लीबिया पर शासन करने वाले गद्दाफी की 20 अक्टूेबर, 2011 को उसके गृहनगर सिरते में हत्या कर दी गई थी। उस वक्त यही कहा गया था कि वहां मौजूद विद्रोहियों और भीड़ ने गद्दाफी को मारा है। समाचार पत्र ‘डेली मेल’ के अनुसार फ्रांस का एक खुफिया एजेंट उस भीड़ में शामिल हो गया जो गद्दाफी को घेरे हुए थी। भीड़ में घुसने के बाद इस एजेंट ने गद्दाफी के सिर में गोली मार दी।
त्रिपोली के राजनयिक सूत्रों ने अखबार को बताया कि गद्दाफी को मारने का मकसद यह था कि उसके और सरकोजी के बीच गहरे रिश्ते के बारे में पूछताछ और जानकारी नहीं हो सके। उस वक्त सरकोजी फ्रांस के राष्ट्रपति थे। अखबार का कहना है कि कभी पेरिस में ‘बंधु नेता’ कहकर गद्दाफी का स्वागत करने वाले सरकोजी को 2007 के चुनाव में लीबिया से लाखों डालर की राशि मिली थी। शायद यह और कई अन्य राज छुपाने की कोशिश में सरकोजी ने गद्दाफी को हमेशा के लिए खामोश करने का फैसला किया।
ब्रिटिश अखबार की माने तो गद्दाफी के साथ नजदीकी रिश्ते रखने वालों में सरकोजी इकलौते यूरोपीय नेता नहीं थे, बल्कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर अक्सर त्रिपोली जाया करते थे और वहां करोड़ों-अरबों पाउंड के कारोबारी सौदे करवाते थे। इटली के अखबार ‘कोरियर देला सेरा’ का कहना है कि गद्दाफी का कत्ल करने वाला फ्रांस का एजेंट सरकोजी के आदेश पर काम कर रहा था।
इस अखबार ने कहा कि लीबिया में विद्रोह की शुरुआत के बाद नाटो ने इसका समर्थन किया। सरकोजी ने भी इसका पुरजोर ढंग से समर्थन किया। इस पर गद्दाफी ने धमकी दी कि वह सरकोजी के साथ अपने रिश्तों के राज का खुलासा कर देगा। इस राज में चुनाव के लिए दी गई लाखों डालर की रकम की बात भी शामिल थी।
गद्दाफी के कत्ल में फ्रांसीसी एजेंट के शामिल होने की बात महमूद जिबरील ने भी स्वीकार की है। लीबिया में क्रांति के बाद जिबरील ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया था। जिबरिल ने मिस्र के एक चैनल से कहा कि एक विदेशी एजेंट क्रांतिकारी ब्रिगेड के बीच घुस गया था ताकि गद्दाफी को मार सके। ‘डेली मेल’ ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा है कि सरकोजी के पास कई ऐसे कारण थे, जिसकी बुनियाद पर वह गद्दाफी को जल्द से जल्द खामोश करना चाहते थे। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 1, 2012, 13:45